नई दिल्ली। उत्तरी दिल्ली के बाड़ा हिंदू राव इलाके में रविवार सुबह 106 वर्षीय शांति बाला वैद्य अपनी बेटी के साथ दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) चुनाव के लिए मतदान करने पहुंचीं।उनकी 55 वर्षीय बेटी कमला ने कहा, “उन्होंने वोट डालना शुरू करने के बाद से एक बार भी मतदान नहीं छोड़ा है।” अधिक उम्र के चलते वैद्य की स्मृतियां धुंधली पड़ने लगी हैं । वह केवल बांग्ला समझती हैं, लेकिन बोल नहीं सकतीं। वह अपनी बेटी को ‘मां’ कहकर संबोधित करती हैं।
सूखे मेवे बेचने वाली कमला ने कहा, “वह एक ही शब्द बोलती हैं, ‘मां’। वह मुझे मां कहती हैं।”डिप्टी गंज मतदान केंद्र पर तैनात पुलिसकर्मियों ने वोट डालने में भी वैद्य की मदद की।पुलिस उपायुक्त (उत्तर) सागर सिंह कलसी ने कहा कि मतदाताओं, खासकर वरिष्ठ नागरिकों के प्रति पुलिस की भी जिम्मेदारी है।उन्होंने कहा, “मतदान केंद्रों पर हमारे कर्मियों को उन लोगों की मदद करने के लिए कहा गया है, जिन्हें इसकी जरूरत है।” वहीं, 105 वर्षीय अमीना बीबी ने कहा कि वह हर चुनाव में सुबह के समय मतदान करती हैं।इस बार मतदान केंद्र उनके घर से लगभग 300 मीटर दूर था और वह अकेले जाना चाहती थीं, लेकिन कई पड़ोसियों ने उनसे कहा कि वे भी उनके साथ जाना चाहते हैं। अधिक उम्र के कारण वह ठीक से बोल नहीं पातीं, लेकिन मतदान को लेकर काफी उत्सुक थीं।
गुरदास जीत सिंह अगले महीने अपना 100वां जन्मदिन मनाएंगे, लेकिन मतदान को लेकर उनका उत्साह अभी भी पहले जैसा ही है। उनके पोते विमल ने यह बात कही।गुरदास जीत सिंह ने कहा, “यह हमारा अधिकार है। जब तक हम अपने घरों से बाहर नहीं आएंगे, सत्ता में हम अपने पसंद के लोगों को कैसे पाएंगे? अपने घरों में आराम से बैठकर शिकायत करने से चीजें नहीं बदलने वालीं।”उन्होंने इस बात पर भी चिंता जताई कि युवा पीढ़ी मतदान में रुचि नहीं दिखा रही।
उन्होंने कहा, “मैंने हमेशा यह सुनिश्चित किया कि मुझे वोट देने का अधिकार कभी नहीं छोड़ना चाहिए।”उन्होंने पूर्वी दिल्ली के शांति नगर इलाके में मतदान किया।एमसीडी चुनाव के लिए 1.45 करोड़ से अधिक मतदाता हैं, जिनमें 78.93 लाख पुरुष और 66.10 लाख महिलाएं हैं।दिल्ली राज्य निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के अनुसार, 100 और उससे अधिक उम्र के 229 मतदाता हैं, जबकि 2,04,301 मतदाता 80 साल से अधिक उम्र के हैं।