नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र और सर्च इंजन गूगल से दो कारोबारियों की उस याचिका पर जवाब मांगा है जिसमें उन्होंने उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों से संबंधित कुछ लेख विभिन्न ऑनलाइन मंचों से हटाने की मांग की है। दोनों याचिकाकर्ताओं ने कहा कि आपराधिक मामले 2002 के हैं और अदालत द्वारा उन्हें 2016 में आरोप मुक्त किया जा चुका है।
उन्होंने कहा कि ये लेख हालांकि इंटरनेट पर अब भी उपलब्ध हैं जिसके कारण उन्हें तस्करी और अवैध गतिविधियों में शामिल होने की धारणा पर सामाजिक कलंक का सामना करना पड़ता है। न्यायमूर्ति रेख पल्ली ने याचिका पर केंद्र, गूगल और एक राष्ट्रीय दैनिक को नोटिस जारी किया और उन्हें तीन सप्ताह के अंदर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। इस मामले में अब 28 अक्टूबर को आगे सुनवाई होगी।
अदालत ने हालांकि याचिकाकर्ताओं को इस चरण में किसी तरह की छूट देने से इनकार करते हुए कहा कि “वह इसे देखेगी।” अदालत ने कहा, “आपके पास निजता का अधिकार है लेकिन हम देखेंगे कि इस पर संतुलन कैसे साधा जा सकता है।”
विमानन क्षेत्र में काम करने वाले कारोबारी अनिवासी भारतीय जयदीप मीरचंदानी और शियाज अमानी ने अपने निजता के अधिकार और लेखों को हटाए जाने के संदर्भ में गूगल और एक राष्ट्रीय दैनिक को निर्देश दिए जाने का अदालत से अनुरोध किया था।