Ajab Gajab News: पूरी दुनिया अजीबोगरीब चीजों, कहानियों, कानूनों से भरी पड़ी है। आज हम एक ऐसी जगह के बारे में बात कर रहे हैं जहां, लोगों का मरना ही गुनाह है। इस शहर में लोगों के मरने पर भी बैन लगा हुआ है। करीब 70 सालों से यहां किसी की भी मौत नहीं हुई है। कोई मरना वाला होता है तो उसे शहर से बाहर भेज दिया जाता है। यही नहीं यहां शवों को दफनाने पर भी प्रतिबंध लगा है। आइए जानते हैं किस देश में ऐसा अजब-गजब कानून है और ऐसा कानून बनाने के पीछे असली वजह क्या है।
यहां लोगों के मरने पर बैन, कब्रिस्तान भी केवल एक
हम बात कर रहे हैं नॉर्वे (Norway) के शहर लॉन्गइयरबेन (Longyearbyen) की। यहां लोगों की मौत पर बैन लगा हुआ है। नॉर्वे और उत्तरी ध्रुव के बीच यह आइलैंड है जिस पर कड़ाके की ठंडी पड़ती है। यहां एक ऐसा कानून है, जिसके तहत मरना पूरी तरह प्रतिबंधित और गैरकानूनी है। यहां कब्रिस्तान भी केवल एक ही है। इस शहर में करीब 2000 लोग रहते हैं।
हालांकि यहां ऐसा कानून बनाने के पीछे भी बड़ी वजह है। मुख्य कारण यहां का ठंडा मौसम है। क्योंकि ठंडे मौसम के कारण यहां दफ्न की गई लाशें मिट्टी में नहीं मिलतीं। 1950 में लोगों ने देखा कि, जो शव बहुत पहले दफनाए गए थे वे जस के तस कब्रों में पड़े हुए थे। किसी को तो दफनाए हुए 70 साल हो गए हैं। इसी वजह से यहां लोगों के मरने के बाद दफनाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
नहीं होता किसी का अंतिम संस्कार
कड़ाके की ठंड की वजह से डेड बॉडी नष्ट नहीं होती। शवों को नष्ट करने में सालों लग जाते हैं। एक रिसर्च के मुताबिक, 1917 में इनफ्लुएंजा की वजह से एक व्यक्ति की मौत हुई थी। लेकिन बाद में उसके शव में इंनफ्लुएंजा के वायरस जस के तस मिले। इसके बाद लोगों में खौफ फैल गया।
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लोगों पर बीमारी का खतरा मंडराने के बाद प्रशासन ने शहर में मौत पर पाबंदी लगा दी। अब अगर कोई बहुत बीमार होता है और उसके जिंदा बचने के कोई आसार नहीं होते, अगर कोई व्यक्ति मरने वाला होता है तो उसे हेलिकॉप्टर की मदद से देश के दूसरे क्षेत्र में भेज दिया जाता है। मरने के बाद वहीं उसका अंतिम संस्कार कर दिया जाता है।