Jyotiraditya Scindia Father Madhavrao: पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता माधवराव सिंधिया की आज 20 पुण्यतिथि है। 30 सितंबर 2001 को हुए विमान हादसे में उनका निधन हो गया था। माधवराव सिंधिया ने अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत जनसंघ से की थी, लेकिन बाद में वे कांग्रेस में चले गए और लंबे समय तक कांग्रस में ही रहे। उनके निधन के बाद उनके बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया राजनीतिक विरासत संभाल रहे हैं। पिता जनसंघ से कांग्रेस में आए थे तो बेटा कांग्रेस से बीजेपी में आए हैं और आज देश के नागरिक उड्डयन मंत्री के रूप में ज्योतिरादित्य सिंधिया केंद्रीय मंत्री हैं। खैर, आज हम माधवराव सिंधिया को उनकी पुण्यतिथि पर याद करते हुए आपको एक किस्सा बताएंगे, जब उनकी मां के एक बेहद करीब शख्स के परिवार ने उनपर डकैती का आरोप लगाया था और पुलिस में केस दर्ज करवा दिया था। आइए जानते हैं क्या था पूरा मामला।
विवाद कब शुरू हुआ?
दरअसल, इस विवाद की शुरुआत साल 1975 में इमरजेंसी के दौरान हुई थी। उस दौरान माधवराव सिंधिया और उनकी मां विजयाराजे सिंधिया के बीच अनबन चल रही थी। इमरजेंसी में विजयाराजे सिंधिया को जेल में बंद कर दिया गया था। उनके बेटे माधवराव उस दौरान नेपाल में थे। तब विजयाराजे के राजनीतिक सलाहकार और उनके बेहद करीबी संभाजीराव आंग्रे का परिवार जय महल पैलेस में रहता था और महल का देखभाल करता था।
माधवराव ने लगाए थे कई आरोप
इमरजेंसी खत्म होते ही माधवराव सिंधिया भारत आए और सरदार आंग्रे के परिवार वालों पर आरोप लगाया कि वो लोग महल से जाते हुए कई तरह के कीमती सामान अपनी कोठी में उठा ले गए । इतना ही नहीं इमरजेंसी के बाद जब कांग्रेस सत्ता में आई तब माधवराव ने सरदार आंग्रे की कोठी पर छापा भी पड़वाया था। उसी छापे के बाद संभाजीराव आंग्रे के परिवार ने माधव राव सिंधिया समेत कई अन्य लोगों पर डकैती का आरोप लगाया था।
सिंधिया पर माल लूटने का था आरोप
1983 में सरदार आंग्रे की पुत्री चित्रलेखा ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि माधवराव सिंधिया के साथ उनके डेढ़ दर्जन से ज्यादा समर्थकों ने हिरण वन कोठी पर रात के समय हमला बोला था और कोठी में तैनात कुत्तों की हत्या करके वहां रखा माल लूट लिया। इतना ही नहीं माधवराव सिंधिया ने कोठी में ताले भी लगा दिए। यह केस सालों तक चला। 2001 में माधवराव सिंधिया के निधन के बाद उनाक नाम FIR से काटा गया। पिता के निधन के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उस हिरण वन कोठी पर मालिकाना हक के लिए केस दायर किया। लेकिन उन्हें इस केस में हार का सामना करना पड़ा था।