नई दिल्ली । ‘‘गहराइयां’’ फिल्म की निर्देशक दार गाई ने कहा कि यौन शोषण के खिलाफ चले वैश्विक ‘मीटू’ आंदोलन ने लोगों को जागरूक किया कि अभिनय एक असुरक्षित पेशा है और कलाकारों को ‘‘शारीरिक और मनोवैज्ञानिक’’ कार्य सुरक्षा माहौल मुहैया कराने की आवश्यकता है। भारत में रह रहीं और यूक्रेन में जन्मी फिल्म निर्माता ने ‘‘गहराइयां’’ फिल्म में निदेशक शकुन बत्रा के साथ काम किया है। यह बॉलीवुड की उन पहली फिल्मों में से एक है जिनमें इंटीमेसी निर्देशक यानी ऐसे दृश्यों को फिल्माने के लिए अलग निर्देशक होता है जिसमें शारीरिक रूप से छूने की आवश्यकता होती है। ‘मीटू’ आंदोलन के बाद ये फिल्मों के सेट का एक हिस्सा बन गया है।
कलाकार भी इंसान हैं
फिल्म निर्माता ने जूम से दिए साक्षात्कार में ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘किसी दृश्य को फिल्माना पर्याप्त नहीं है बल्कि महत्वपूर्ण यह है कि उसे फिल्माने के दौरान हम कैसा महसूस करते है, हमारे कलाकार कैसा महसूस करते हैं, क्या वे मनोवैज्ञानिक रूप से सुरक्षित माहौल महसूस करते हैं या नहीं।’’ गाई ने कहा, ‘‘इस आंदोलन से हमें पता चला कि विश्वास खत्म करने के कई तरीके हैं। हमें यह समझने की जरूरत है कि कलाकार भी इंसान हैं, उन्हें भी ऐसे अनुभव होते हैं जो वे जीवन में नहीं चाहते। उन्हें स्थिर, खुश रखने के लिए इन सभी चीजों पर उनके साथ चर्चा करने की आवश्यकता है।’’फिल्म निर्माता ने कहा कि वह जानती हैं कि कई कलाकारों के साथ ‘‘खराब’’ अनुभव है क्योंकि निर्देश अंतरंग दृश्य फिल्माते वक्त उन्हें असहज होने के लिए विवश करते हैं। रिश्तों पर आधारित ड्रामा फिल्म ‘गहराइयां’ में दीपिका पादुकोण, सिद्धांत चतुर्वेदी, अन्या पांडे और धैर्य कारवा हैं।