दंतेवाड़ा। नक्सल प्राभावित क्षेत्र में किस तरह जवान शहीद होने के बाद भी लोगों को सेवा कर रहे हैं। इसका एक उदाहरण छग के दंतेवाड़ा में देखने को मिला। यहां शहीद जवानों के परिजन ने शहीद के नाम पर मठ न बनवाकर एक यात्री प्रतीक्षालय बनवा दिया। जिससे आज भी नक्सली हमले में शहीद हुए यह जवान लोगों का सहारा बने हैं!
नक्सलियों ने बारूदी सुरंग विस्फोट कर की थी हत्या
यहां राहगीरों के लिए बैठने की व्यवस्था के चलते गर्मी, बारिश और ठंड में राहत मिलती है। दरसल 09 जून 2011 को दंतेवाड़ा जिले के गाटम में नक्सलियों ने बारूदी सुरंग विस्फोट कर एक एंटी लैंडमाइंस गाड़ी को उड़ा दिया था, जिसमें जिले के 11 जवान शहीद हो गए थे।
नक्सली हमले में बिंजाम गांव के तीन सपूत भी शहीद हो गए थे
इस विस्फोट की घटना में बिंजाम गांव के तीन सपूत भी शहीद हो गए थे, जिनकी याद में उनके परिजनों ने गांव में ही एक यात्री प्रतीक्षालय बना लिया। यात्री प्रतीक्षालय इस तरह से डिजाइन किया हुआ है, जो जवानों की शहादत को याद दिलाता है।
मठ बनाने की परंपरा, लेकिन यात्री प्रतीक्षालय बनवाया
परिजनों का कहना है कि गांव में किसी की मृत्यु होती है तो उसकी याद में मठ बनाने की परंपरा है, लेकिन हम लोगों का यात्री प्रतीक्षालय बनाने का उद्देश्य है कि गांव में कोई भी आता है, तो उसे इस प्रतीक्षालय को देखकर शाहीद हुए जवानों को याद दिलाए।
नक्सली हमले में शहीद जवानों को दी जाती है श्रद्धांजलि
शहीद जवानों की याद दिलाए जाने के साथ ही आने-जाने वालों के लिए कड़ी धूप, बारिश से भी यह यात्री प्रतीक्षालय बचाता है। प्रतिवर्ष 09 जून के दिन यहां शहीदों के लिए श्रद्धांजलि दी जाती है। साथ ही उनकी पुण्यतिथि भी मनाई जाती है।
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