Satna News: मध्य प्रदेश के सतना जिले के अकौना ग्राम पंचायत में जातिगत भेदभाव का एक दुखद मामला सामने आया है, जहां एक दलित महिला सरपंच को लगातार अपमानित किया जा रहा है। यह मामला 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर और भी स्पष्ट रूप से सामने आया, जब उन्हें तिरंगा फहराने से रोक दिया गया। यह घटना ठाकुर बहुल इलाके में हुई, जहां पहली बार एक दलित महिला सरपंच बनी थी। महिला सरपंच ने अब इस मामले में पंचायत मंत्री प्रहलाद पटेल को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की है।
महिला सरपंच ने पंचायत मंत्री को लिखा पत्र
सतना जिले की अकौना ग्राम पंचायत की सरपंच श्रद्धा सिंह ने मध्य प्रदेश के पंचायत ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने बताया कि स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर ध्वजारोहण का कार्यक्रम तय किया गया था। राज्य सरकार के आदेश अनुसार सरपंच को तिरंगा फहराना था लेकिन उपसरपंच धर्मेन्द्र सिंह बघेल ने उनके पहुंचने से पहले ही ध्वजारोहण कर दिया। सरपंच श्रद्धा सिंह का आरोप है कि यह घटना उनके दलित समाज से होने और महिला होने के कारण उनके साथ जानबूझकर की गई साजिश का हिस्सा थी और उन्हें अपमानित किया गया।
ठाकुर बाहुल गांव में पहली बार चुनी गई दलित सरपंच
बता दें सतना के अकौना ग्राम पंचायत की सरपंच श्रद्धा सिंह दलित समुदाय से आती हैं। श्रद्धा का कहना है कि यह पहली बार नहीं है जब उन्हें इस तरह का अपमान और दुर्व्यवहार सहना पड़ा है। जब भी वह गांव में कोई काम करवाने की कोशिश करती हैं, तो उनके काम में अड़चनें डाली जाती हैं। श्रद्धा ने जुलाई 2022 में सरपंच का चुनाव जीता था, जो एक ठाकुर बहुल गांव में एक दलित महिला द्वारा पहली बार जीता गया था, जिसे कुछ जातिवादी लोगों ने स्वीकार नहीं किया और बवाल किया था।
उपसरपंच धर्मेंद्र बघेल ने कहा कुर्सी घर से ले आओ
28 वर्षीय सरपंच श्रद्धा सिंह ने बताया कि 17 अगस्त को ग्राम सभा की बैठक के दौरान उन्हें फिर से अपमानित किया गया। जब उन्होंने बैठक में बैठने के लिए कुर्सी मांगी, तो उपसरपंच और सचिव ने उन्हें कुर्सी देने से इनकार कर दिया और कहा कि अगर उन्हें कुर्सी चाहिए तो वे अपने घर से लेकर आएं, नहीं तो उन्हें जमीन पर बैठना होगा या खड़े रहना होगा।
कांग्रेस ने उठाए सवाल
कांग्रेस ने इसे बेहद गंभीर मामला बताया है और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया है कि बीजेपी के शासन में दलितों और आदिवासियों के साथ अत्याचार और अपमान की घटनाएं बढ़ रही हैं और मोदी सरकार की दलित विरोधी मानसिकता का परिणाम है।