Dalelchak Baghora Massacre : वो काली रात जो आज भी लोगों के जहन में एक डर सा पैदा करती है। जब भी मई महीने की 29 तारीख आती है तो लोगों की वो काली रात याद आती है। जिस दिन 57 महिलाओं, पुरूष और बच्चें के सिर काटकर हत्या कर दी गई थी। लोगों की आंखों के सामने 35 साल पुराना वह कांड दिखाई देने लगाता है जब एक रात में 57 लोगों के सिर कलम कर दिए गए थे। हम बात कर रहे है, 28-29 मई 1987 के दलेलचक बघौरा नरसंहार (Dalelchak Baghora Massacre) की।
घटना को अंजाम देने आए थे 700 नक्सली
इस खौफनाक बारदात की जिम्मेदारी माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर ने ली थी। करीब 700 नक्सली शाम के 7 बजे करीब हथियारों के साथ आए थे। यह घटना औरंगाबाद जिले के मदनपुर थाना क्षेत्र के दलेलचक और बघौरा गांव (Dalelchak Baghora Massacre) में हुई थी। नक्सलियों ने 28-29 मई की रात में 54 लोगों की हत्या कर दी गई थी। जिसमें ढाई साल के बच्चे से लेकर एक 105 साल की वृद्ध महिला भी शामिल थी। बताया जाता है कि छेछानी गांव को गांव जला दिया गया था। इस घटना में 7 लोगों की मौत हो गई थी। इसी के बदले का जवाब इस गांव में दिया गया था।
बांधकर बनाकर सिर धड़ से कर दिया था अलग
नक्सलियों ने 28 मई 1987 की शाम करीब 7 बजे दलेल चक और बघौरा गांव में ग्रामीणों के हाथ पांव बांधकर मैदान में उनका सिर धड़ से अलग कर दिया था। इतना ही नहीं कुछ लोगों को जिंदा भी जला दिया गया था। बताया जाता है कि इस घटना को एक जाति विशेष के लोगों ने अंजाम दिया था। बघौरा गांव में जिस पीपल के पेड़ के नीचे लोगों को काट दिया गया था, वहां आज भी उस नरसंहार के निशान हैं। आज भी पेड़ पर धारदार हथियार के निशान देखे जा सकते है। कुछ लोगों का तो यह भी कहना है कि आज भी कभी कभी पेड़ के पास से डरावनी आवाजे आती है। जिसके चलते लोग उस जगह पर रात में जाने से डरते है। स्थानीय लोगों की माने तो उस स्थान पर जब घटना को अंजाम दिया गया था। तब खून के थक्के जमे थे। बर्तन यहां वहां पड़े हुए थे। नरसंहार के दौरान नक्सलियों ने एक नारा भी दिया था। हत्यारों ने कहा था कि खबरदार जो जहां है वहीं रहेगा। इसके बाद हत्यारों ने लोगों को बांधकर पेड़ के नीचे हत्या कर दी।
हुआ था 54 लोगों का कत्ल
आज भी 29 मई को नरसंहार (Dalelchak Baghora Massacre) में मारे गए लोगों की याद में उनकी शहादत को याद कर श्रद्धांजलि दी जाती है। 35 साल पहले नक्सलियों ने दलेल चक बघौरा गांव में 54 लोगों का नरसंहार (Dalelchak Baghora Massacre) किया था जिनमें एक ऐसा परिवार भी था जिनमें एक ही परिवार के 20 सदस्य शामिल थे।