बिलासपुर: देश में बर्ड फ्लू से सैकड़ों की संख्या में कौए की मौत हो रही है। तो वहीं बिलासपुर में टोटका फ्लू का खतरा अब इन कौए पर मंडरा रहा है। पहले ही बिगड़े पर्यवरण की मार झेल रहे कौए अब अंधविश्वास का शिकार हो रहे हैं। जिससे अब शहर में एकाएक कौंवों की संख्या कम हो गई है और इसके अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है।
बिगड़ रहे पर्यावरण और बर्ड फ्लू की मार कौए पर तो पड़ ही रही थी। अब टोटका फ्लू भी इसके अस्तित्व को खत्म कर रहा है। स्थिति ये है, कि श्राद्ध में अनुष्ठान पूरा करने के लिए कौए तलाशने पर भी नहीं मिलते हैं, लेकिन सबसे बड़ा सवाल की आखिर ऐसी क्या वजह है कि बिलासपुर में कौए का अस्तित्व खत्म होता जा रहा है।
विशेषज्ञों की मानें, तो बिलासपुर में कौए के खत्म होने की मुख्य वजह अंधविश्वास है। यहां कौए के पंख को लेकर काला जादू, वशीकरण जैसी धारणा खूब फलफूल रही है।
दुनिया 21वीं सदी में है, आज के वैज्ञानिक युग में इस धारणा को ज्योतिष पंडित भी नकार रहे हैं। उनका साफ कहना है कि, कौए की हत्या करना सिर्फ एक अंधविश्वास है। और ऐसा करके हम पक्षियों के अस्तित्व से खिलवाड़ कर रहे हैं।
पक्षियों की प्रजातियों पर बर्ड फ्लू जैसे संकट तो हमेशा रहते ही हैं। वो इंसान के अंधविश्वास के शिकार भी बनते आए हैं। बहरहाल, कौए के साथ-साथ दूसरे पक्षियों की चह चहाहट और उनके अस्तित्व को बचाये रखने की जरूरत है।