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हाइलाइट्स
- CJI BR Gavai पर जूता फेंकने वाले वकील किशोर मुसीबत बढ़ी
- राकेश किशोर के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्रवाई हो सकती
- अदालत की गरिमा और न्यायपालिका पर उठे गंभीर सवाल
Rakesh Kishore Contempt: सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई (CJI BR Gavai) पर जूता फेंकने की कोशिश करने वाले वकील राकेश किशोर (Advocate Rakesh Kishore) की मुसीबतें लगातार बढ़ती जा रही हैं। अब एक और वकील ने अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी (Attorney General R. Venkataramani) को पत्र लिखकर उनके खिलाफ आपराधिक अवमानना (Criminal Contempt) की कार्रवाई शुरू करने की अनुमति मांगी है।
न्यायालय की गरिमा पर हमला
अटॉर्नी जनरल को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि यह घटना न केवल सुप्रीम कोर्ट की गरिमा (Dignity of Supreme Court) का उल्लंघन है, बल्कि न्यायपालिका में लोगों के विश्वास को भी कमजोर करती है। पत्र में यह भी उल्लेख किया गया कि राकेश किशोर ने अपने इस कृत्य पर कोई पछतावा (No Regret) नहीं जताया है, जिससे उनकी मानसिक स्थिति और उद्देश्य पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं।
सुप्रीम कोर्ट में हुई थी घटना
सोमवार को हुई इस घटना में 71 वर्षीय वकील राकेश किशोर ने सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही के दौरान अपने जूते उतारकर मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई (CJI BR Gavai) की ओर फेंकने की कोशिश की थी। हालांकि, सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें तुरंत रोक लिया और हिरासत में ले लिया। इस घटना के बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया (Bar Council of India) ने किशोर की वकालत की सदस्यता निलंबित कर दी।
‘भावनात्मक पीड़ा’ का दिया हवाला
घटना के अगले दिन एएनआई (ANI) से बात करते हुए राकेश किशोर ने कहा कि उन्होंने यह कदम ‘भावनात्मक पीड़ा’ के चलते उठाया था। उन्होंने दावा किया कि हिंदू धार्मिक मामलों में न्यायपालिका के दखल (Judicial Interference in Hindu Religious Matters) से वे लंबे समय से आहत थे। किशोर के अनुसार, 16 सितंबर को सीजेआई की अदालत में दाखिल एक जनहित याचिका (PIL) के दौरान जस्टिस गवई की टिप्पणी ने उन्हें गहराई से चोट पहुंचाई।
किशोर ने कहा, “सीजेआई ने उस याचिका पर कहा था, ‘जाओ, मूर्ति से कहो कि अपना सिर खुद वापस लगा ले।’ यह बात मेरे लिए अत्यंत अपमानजनक थी।”
‘परमात्मा ने कहा इसलिए किया’
राकेश किशोर ने खुद को गैर-हिंसक, ईमानदार और सरल व्यक्ति बताते हुए कहा कि उन्होंने यह काम किसी गुस्से में नहीं, बल्कि ‘दिव्य आदेश’ पर किया। उन्होंने कहा, “परमात्मा ने कहा था, इसलिए किया। यह मेरा दिव्य कर्तव्य (Divine Duty) था। मुझे अपने किए पर कोई पछतावा नहीं है। अगर परमात्मा फिर आदेश देंगे, तो मैं दोबारा ऐसा करूंगा।”
अदालत पर दोहरे मापदंड का आरोप
किशोर ने आरोप लगाया कि अदालत विभिन्न समुदायों के मामलों में दोहरा रवैया अपनाती है। उन्होंने कहा, “हल्द्वानी अतिक्रमण केस (Haldwani Encroachment Case) में विशेष समुदाय से जुड़े लोगों पर तीन साल से स्टे लगा है, जबकि हिंदू धार्मिक मामलों जैसे जलीकट्टू (Jallikattu) और दही हांडी (Dahi Handi) में सुप्रीम कोर्ट जल्दी-जल्दी हस्तक्षेप करता है।”
उन्होंने सीजेआई गवई की मॉरिशस यात्रा के दौरान की गई टिप्पणी पर भी सवाल उठाया। किशोर के अनुसार, “मुख्य न्यायाधीश को अपने पद की गरिमा बनाए रखनी चाहिए। ‘मायलॉर्ड’ के शब्दों में मर्यादा झलकनी चाहिए। मैं उनके बयानों से आहत हूं और आगे भी रहूंगा।”
बढ़ सकती है कानूनी कार्रवाई
अब यह मामला और गंभीर होता दिख रहा है। अटॉर्नी जनरल से अनुमति मिलने पर राकेश किशोर के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही (Contempt Proceedings) शुरू हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट में यह मामला न्यायपालिका की गरिमा, अनुशासन और अदालत में आचरण से जुड़ी बहस को एक बार फिर सामने ले आया है।
CJI BR Gavai Attack: सुप्रीम कोर्ट में CJI बी आर गवई पर वकील ने जूता फेंकने की कोशिश, कहा- ‘सनातन का अपमान बर्दाश्त नही’
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सुप्रीम कोर्ट मे सोमवार 6 अक्टूबर को एक चौकाने वाली घटना सामने आई है। जहां वकील राकेश किशोर ने मुख्य न्यायधीश (CJI) बी आर गवई पर जूता फेंकने की कोशिश की है। हालांकि समय रहते ही सुप्रीम कोर्ट के सुरक्षाकर्मियों ने राकेश किशोर को समय रोक लिया। पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें
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