हाइलाइट्स
- सीपी राधाकृष्णन बने भारत के 15वें उपराष्ट्रपति
- एनडीए प्रत्याशी ने विपक्षी बी सुदर्शन रेड्डी को हराया
- साधारण परिवार से राजनीति की ऊंचाइयों तक पहुंचे
CP Radhakrishnan 15th Vice President Of India: NDA ने 68 साल के सीपी राधाकृष्णन भारत के 15वें उपराष्ट्रपति चुन लिए गए हैं। एनडीए उम्मीदवार राधाकृष्णन को प्रथम वरीयता के 452 वोट प्राप्त हुए, जबकि इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार बी सुधर्शन रेड्डी को 300 वोट मिले। राधाकृष्णन ने 152 वोटों के अंतर से यह चुनाव जीता। कांग्रेस ने दावा किया था कि इंडिया गठबंधन के 315 सांसदों ने मतदान किया, लेकिन उनके उम्मीदवार को केवल 300 वोट मिले, यानी 15 वोट कम।
बीआरएस और बीजेडी ने इस चुनाव में हिस्सा नहीं लिया। बीआरएस के 4 और बीजेडी के 7 सांसद राज्यसभा में हैं। शिरोमणि अकाली दल का लोकसभा में एकमात्र सांसद है। उसने भी पंजाब में बाढ़ के कारण वोट डालने से मना कर दिया। पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई 2025 को स्वास्थ्य कारणों से अचानक इस्तीफा दे दिया था, जबकि उनका कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक था।
मंगलवार (9 सिंतबर) को सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक वोटिंग हुई। जिसमें 781 सांसदों ने मतदान किया। NDA ने 68 साल के सीपी राधाकृष्णन को तो INDIA ने 79 साल के बी सुदर्शन रेड्डी को प्रत्याशी बनाया। इस मतदान में कुल 781 सांसदों ने वोट डाला। जिसके परिणाम स्वरूप सीपी राधाकृष्णन (CP Radhakrishnan) भारत के 15वें उपराष्ट्रपति बन चुके हैं।
साधारण परिवार से निकलकर राजनीति की ऊंचाइयों तक पहुंचे राधाकृष्णन का सफर शिक्षा, सामाजिक कार्य और संगठनात्मक कौशल से भरा रहा है। वे तमिलनाडु के जमीनी नेता माने जाते हैं और लंबे समय से बीजेपी (BJP) से जुड़े हुए हैं।

क्या क्रॉस-वोटिंग की गई
मंगलवार (09 सितंबर) को हुए उपराष्ट्रपति चुनाव में कुल 782 पात्र सांसदों में से 767 ने मतदान किया, जिसमें 15 वोट अमान्य घोषित हुए। बीजेपी का दावा है कि विपक्षी दलों से एनडीए को मिले 14 अतिरिक्त वोटों ने उनकी जीत को और मजबूत किया। इन 14 क्रॉस वोटों और 15 अमान्य वोटों के कारण विपक्ष को बड़ा नुकसान हुआ। एनडीए के पास मूल रूप से 427 सांसदों का समर्थन था, जो वाईएसआर कांग्रेस के 11 सांसदों के समर्थन से बढ़कर 438 हो गया। इसके अतिरिक्त, 14 क्रॉस वोटों ने एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन को और अधिक मजबूती प्रदान की, जिससे उनकी जीत सुनिश्चित हुई।
क्या बोली कांग्रेस
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि उपराष्ट्रपति चुनाव में इंडिया गठबंधन एकजुट रहा और हमारा प्रदर्शन सराहनीय रहा। इंडिया के उम्मीदवार बी सुधर्शन रेड्डी को 40% वोट प्राप्त हुए, जो 2022 के उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष को मिले 26% वोटों से 14% अधिक है। उन्होंने कहा कि भले ही भाजपा ने संख्या के आधार पर जीत हासिल की हो, लेकिन यह उनकी नैतिक पराजय है।
पढ़ाई के दौरान ही सामाजिक कार्यों में जुटे
सीपी राधाकृष्णन (CP Radhakrishnan) का जन्म तमिलनाडु (Tamil Nadu) के कोयंबटूर (Coimbatore) में हुआ। एक सामान्य परिवार में जन्म लेने के कारण उनका बचपन संघर्षों से भरा रहा। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कोयंबटूर के सरकारी स्कूल से प्राप्त की। आगे की पढ़ाई उन्होंने कोयंबटूर के शासकीय कॉलेज से की। पढ़ाई के दौरान ही वे सामाजिक कार्यों और छात्र राजनीति में सक्रिय हो गए थे।
छात्र जीवन से राजनीति में रखा कदम
राधाकृष्णन कॉलेज के दिनों से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) से जुड़े। छात्र राजनीति के दौरान उनकी पहचान एक जुझारू और ईमानदार कार्यकर्ता की बनी। उन्होंने सामाजिक मुद्दों पर आवाज उठाई और युवाओं को संगठित करने का काम किया। इसी वजह से पार्टी नेतृत्व की नजर उन पर पड़ी।
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1998 में जीता लोकसभा चुनाव
1998 और 1999 में सीपी राधाकृष्णन ने कोयंबटूर से लोकसभा चुनाव जीता। सांसद रहते हुए उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे पर विशेष ध्यान दिया। संसद में उनकी छवि एक गंभीर और पढ़े-लिखे नेता की रही। बीजेपी ने उन्हें तमिलनाडु प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी दी। उनके नेतृत्व में पार्टी ने दक्षिण भारत में अपने संगठन को मजबूत किया। राधाकृष्णन ने हमेशा साफ-सुथरी राजनीति की वकालत की और कार्यकर्ताओं को संगठन के मूल्यों से जोड़ने का काम किया।
2023 में झारखंड,2024 में महाराष्ट्र के राज्यपाल बने
सीपी राधाकृष्णन 2024-25 में महाराष्ट्र, 2023-24 में झारखंड और साल 2024 में कुछ महीनों के लिए तेलंगाना के भी राज्यपाल रहे। यहां उन्होंने प्रशासनिक अनुभव भी हासिल किया और विभिन्न राज्यों में शिक्षा, उद्योग और सामाजिक योजनाओं पर विशेष काम किया। अब वे भारत के 15वें उपराष्ट्रपति बन चुके हैं।
उपराष्ट्रपति पद तक का सफर
9 सितंबर 2025 को सीपी राधाकृष्णन भारत के 15वें उपराष्ट्रपति चुने गए। उन्होंने विपक्षी उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी (B. Sudarshan Reddy) को हराया। इस चुनाव में क्रॉस वोटिंग भी देखने को मिली। इंडिया गठबंधन के 315 सांसदों ने मतदान किया, लेकिन उनके उम्मीदवार को केवल 300 वोट मिले, यानी 15 वोट कम। ऐसे में कयास ये लगाए जा रहे हैं कि इस चुनाव में भी क्रॉस वोटिंग की गई है। हालांकि, वोट निरस्त होने की भी संभावना हो सकती है।
एक ईमानदार नेता के रूप में बनाई पहचान
राधाकृष्णन अपने सादगी भरे स्वभाव के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने हमेशा जनता के बीच जाकर काम किया और युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बने। 15वें उपराष्ट्रपति के लिए मंगलवार (09 सितंबर) को मतदान हुआ। संसद में सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक वोटिंग हुई। चुनाव में कुल 781 सांसदों ने वोट डाला। 6 बजे के बाद वोटों की गिनती शुरू हुई, जिसके बाद करीब 7:30 बजे तक रिजल्ट आ गया।
FAQs
Q. सीपी राधाकृष्णन भारत के 15वें उपराष्ट्रपति कैसे बने?
9 सितंबर 2025 को संसद (Parliament) में हुए उपराष्ट्रपति चुनाव में 781 सांसदों ने मतदान किया। एनडीए (NDA) उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन को प्रथम वरीयता (first preference) के 452 वोट मिले, जबकि इंडिया गठबंधन (INDIA Alliance) के बी सुदर्शन रेड्डी को 300 वोट मिले। राधाकृष्णन ने 152 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की और भारत के 15वें उपराष्ट्रपति बने।
Q. इस उपराष्ट्रपति चुनाव में क्रॉस वोटिंग (cross-voting) हुई क्या?
कांग्रेस ने दावा किया कि इंडिया गठबंधन के 315 सांसदों ने मतदान किया था, लेकिन उनके उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी को केवल 300 वोट ही मिले। यानी 15 वोट कम पड़े। इसे लेकर राजनीतिक हलकों में क्रॉस वोटिंग की चर्चा हो रही है। हालांकि, कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि कुछ वोट निरस्त (invalid) भी हो सकते हैं।
Q. सीपी राधाकृष्णन का राजनीतिक और प्रशासनिक सफर कैसा रहा है?
सीपी राधाकृष्णन का जन्म तमिलनाडु (Tamil Nadu) के कोयंबटूर (Coimbatore) में हुआ। वे छात्र जीवन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) से जुड़े। 1998 और 1999 में लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बने। बाद में उन्हें तमिलनाडु प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बनाया गया। 2024-25 में महाराष्ट्र, 2023-24 में झारखंड और साल 2024 में कुछ महीनों के लिए तेलंगाना के भी राज्यपाल रहे। अब वे भारत के 15वें उपराष्ट्रपति बन चुके हैं।
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