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अदालतों को सार्वजनिक आलोचना, जांच स्वीकार करनी चाहिए: साल्वे

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Bhasha
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अहमदाबाद, 17 जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि अदालतों को ‘‘शासन प्रणाली की संस्थाओं’’ के तौर पर सार्वजनिक जांच पड़ताल तथा आलोचनाओं को स्वीकार करना चाहिए।

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अहमदाबाद में आयोजित व्याख्यान को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से संबोधित करते हुए शनिवार को साल्वे ने कहा कि न्यायाधीशों, न्यायिक मर्यादाओं और कार्यप्रणाली के तरीकों की आलोचना से अदालत नाराज नहीं होतीं और जिस लहजे में इस तरह की आलोचनाएं की जाती हैं वह हल्के फुल्के अंदाज में होनी चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘आज हमने यह स्वीकार कर लिया है कि न्यायाधीश, या कहें अदालतें और खासकर संवैधानिक अदालतें शासन प्रणाली की संस्थाएं बन गई हैं और इस नाते उन्हें सार्वजनिक जांच पड़ताल तथा सार्वजनिक आलोचनाओं को स्वीकार करना चाहिए।

साल्वे ने कहा, ‘‘हमने यह हमेशा माना है कि अदालतों के फैसलों की आलोचना की जा सकती है, ऐसी भाषा में की गई आलोचना भी जो विनम्र न हो। अत: फैसलों की निंदा हो सकती है। क्या हम निर्णय निर्धारण की प्रक्रिया की निंदा कर सकते हैं? क्यों नहीं?’’।

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वरिष्ठ अधिवक्ता 16वें पीडी देसाई स्मृति व्याख्यान को संबोधित कर रहे थे जिसका विषय था ‘न्यायपालिका की आलोचना, मानहानि का न्यायाधिकार और सोशल मीडिया के दौर में इसका उपयोग’।

व्याख्यान में उन्होंने कहा, ‘‘सूर्य की तेज रोशनी के उजाले तले शासन होना चाहिए। मेरा मानना है कि ऐसा वक्त आएगा जब उच्चतम न्यायालय सरकारी गोपनीयता कानून के बड़ी संख्या में प्रावधानों पर गंभीरता से विचार करेगा और देखेगा कि वे लोकतंत्र के अनुरूप हैं या नहीं।’’

भाषा

मानसी प्रशांत

प्रशांत

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