MP News: उज्जैन में देश की पहली रोबोटिक कंट्रोल वेधशाला स्थापित हो गई है। जिससे डोंगला में लगे रोबोटिक टेलीस्कोप से कम्प्यूटर के जरिए किसी भी दिशा में घुमाकर ग्रह-नक्षत्रों की तस्वीर ली जा सकती हैं। साथ ही कहीं से भी ऑनलाइन जुड़कर रिसर्च की जा सकेगी। अब शोधकर्ता इससे खगोल विज्ञान से जुड़ी घटनाओं, ग्रहों और तारों की स्टडी कर सकेंगे।
आपको बता दें कि अमेरिका के वैज्ञानिकों ने डोंगला में लगाए टेलीस्कोप को ठीक कर दिया है। यानी अब दुनिया उज्जैन की जमीन से तारों को नज़दीक से देख सकेगी। टेलीस्कोप के लिए 65 लाख रुपए की लागत से डोम बनाकर तैयार किया जा चुका है।
सिर्फ शोधार्थी कर सकेंगे इस्तेमाल
मध्यप्रदेश (MP News) के उज्जैन में इस व्यवस्था का इस्तेमाल सिर्फ रिसर्च स्कॉलर ही कर सकेंगा। यह व्यवस्था आम लोगों के लिए नहीं है। साथ ही सौर मंडल और तारों को देखने के लिए उज्जैन स्थित तारा मंडल में इसका लाइव प्रसारण देखा जा सकेगा। इसके लिए तैयारियां चल रही हैं। बाहर लगे टावर से ऑनलाइन टेलीकास्ट कर सकेंगे। आम लोग छोटे टेलीस्कोप से आकाशीय नजारे देख सकेंगे। करीब 6 महीनों में यह सुविधा शुरू हो जाएगी।
रिसर्च के लिए ये होगी प्रोसेस
मध्यप्रदेश (MP News) के उज्जैन की इस वेधशाला में रिसर्च के लिए देश की किसी भी यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता स्कॉलर को सबसे पहले मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (मैपकास्ट) में आवेदन देना होगा। इसके बाद रिसर्च स्कॉलर एक तय तारीख दी जाएगी। दी गई तय तारीख को ऑनलाइन के माध्यम से या फिर डोंगला आकर टेलीस्कोप से रिसर्च का काम कर सकेंगे। तारे का अध्ययन करने के लिए दो-तीन महीने का समय दिया जाएगा। जिससे वह इसकी रिसर्च फाइल बना सकें।
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यहां टेलीस्कोप को ऑपरेट करने वाला एक व्यक्ति मैपकास्ट के माध्यम से मौजूद रहेगा। टेलीस्कोप को ऑपरेट करने वाले व्यक्ति की स्थायी व्यवस्था नहीं होने की वजह से अभी ऑपरेटर को भोपाल से आना पड़ता है। स्थायी ऑपरेटर जल्द ही नियुक्ति की जाएगी। शोधार्थी यहां विशेषकर तारों केा जन्म और मृत्यु के साथ ग्रहों की खोज के बारे में भी जानकारी जुटा सकेंगे।
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वेधशाला के खगोल वैज्ञानिक घनश्याम रत्नानी के मुताबिक, IIT इंदौर और मप्र विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के बीच यह समझौता हुआ है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का ड्रीम प्रोजेक्ट है डोंगला
मध्यप्रदेश (MP News) की IIT इंदौर देश की अन्य IIT को टेलीस्कोप के माध्यम से खगोल विज्ञान संबंधी शोध कार्य के लिए जोड़ेगी। बता दें कि यह मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का ड्रीम प्रोजेक्ट भी है। कई बार वह अपने भाषणों में इसका जिक्र भी कर चुके हैं। डोंगला को समय की गणना के केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है।
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