नई दिल्ली। आपने अक्सर किसी को कहते हुए सुना होगा कि कोर्ट कचहरी के चक्कर में जो इंसान एक बार फंसता है वो परेशान ही रहता है। ऐसा इसलिए भी कहा जाता है, क्योंकि कोर्ट में एक बार केस पेंडिंग में जाने के बाद पता नहीं कब सुनवाई के लिए क्लीयर हो ये कोई नहीं जानता है। ऐसे में आज हम आपको देश के एक ऐसे पेंडिंग केस के बारे में बताने जा रहे हैं जो आज तक क्लीयर नहीं हुआ है।
देश का सबसे पुराना पेंडिंग केस
बतादें कि कलकत्ता हाई कोर्ट देश में बनाई गई पहली हाई कोर्ट है। इसकी स्थापना सन 1862 में हुई थी। वर्तमान में इस हाई कोर्ट को सबसे अधिक पेंडिंग केसों वाली अदालत के रूप में भी जाना जाता है। इस कोर्ट में फिलहाल 2.25 लाख केस पेंडिंग हैं। इनमें से करीब 10 हजार केस ऐसे हैं, जो 30 साल से अधिक सालों से पेंडिंग हैं। लेकिन आज हम बात करने वाले हैं भारत के एक मात्र ऐसे केस की जो 221 वर्षों से पेंडिंग है। यानी कोर्ट के स्थापना से भी पहले से ये केस अभी तक पेंडिंग में ही है। इसे देश का सबसे पुराना पेंडिंग केस माना जाता है।
51 साल से हाईकोर्ट में भी चल रहा है केस
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कलकत्ता हाई कोर्ट का केस नंबर AST/1/1800 देश का सबसे पुराना पेंडिंग केस है। 221 साल पुराना ये केस पहली बार सन 1800 में एक निचली अदालत में रजिस्टर्ड किया गया था। इस केस में आख़िरी सुनवाई 20 नवंबर 2018 को ‘कलकत्ता हाई कोर्ट’ में हुई थी। इसकी फाइलें निचली अदालतों में करीब 170 साल से लंबित थीं, जिसके बाद इसे 1 जनवरी 1970 को कलकत्ता उच्च न्यायालय में पंजीकृत किया गया। ताकि इसकी सुनवाई जल्द से जल्द पूरी की जा सके। लेकिन अफसोस की बात यह है कि हाई कोर्ट में भी इस केस को पिछले 51 सालों से सिर्फ तारीख पे तारीख ही नसीब हुई है।
NJDG के चौंकाने वाले आंकड़े
राष्ट्रीय न्यायिक डाटा ग्रिड (एनजेडीजी) के आंकड़ों के मुताबिक़, देशभर की क़रीब 17000 ज़िला और अधिनस्थ अदालतों में अब भी 100639 केस पेंडिंग हैं, जो 30 साल से अधिक पुराने हैं। जबकि देशभर में कुल पेंडिंग केसों की संख्या 3.9 करोड़ है। विभिन्न उच्च न्यायालयों में 58.5 लाख मामले और सर्वोच्च न्यायालय में 69,000 से अधिक मामले लंबित हैं।
केसों को ख़त्म होने में 324 साल लग सकते हैं
वर्तमान में भारत की कुल 24 हाई कोर्ट में करीब 49 लाख केस पेंडिंग हैं। इनमें से करीब 10 लाख से अधिक केस तो ऐसे भी हैं, जो 10-30 साल से पेंडिंग हैं। देश की सबसे बड़ी हाई कोर्ट ‘इलाहाबाद हाई कोर्ट’ में 38 हजार केस 30 साल से अधिक पुराने हैं। भारत सरकार की तरफ़ से किए गए एक सर्वे की मानें तो अगर देश में इसी गति से केसों का निपटारा होता है तो इन सभी केसों को ख़त्म होने में 324 साल लग सकते हैं।