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When Cough Syrup Is Harmful: राजस्थान और मध्य प्रदेश में हाल ही में कुछ बच्चों की मौत के बाद कफ सिरप पर सवाल उठाए गए हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि कफ सिरप बच्चों के लिए कब खतरा बन सकता है और इसे कैसे सुरक्षित रूप से दिया जाए। आइये जानते हैं सब कुछ।
कफ सिरप में आम तौर पर क्या होता है?
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कफ सिरप में आम तौर पर क्या होता है?[/caption]
कफ सिरप बच्चों और वयस्कों में खांसी के इलाज के लिए दिया जाता है। इसमें आम तौर पर Dextromethorphan जैसे सक्रिय तत्व मौजूद होते हैं। यह मुख्य रूप से सूखी खांसी को दबाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा, सिरप को लंबे समय तक सुरक्षित रखने और मीठा बनाने के लिए इसमें प्रिज़रवेटिव्स मिलाए जाते हैं।
एक्सपर्ट्स के अनुसार, अधिकांश प्रिज़रवेटिव सुरक्षित माने जाते हैं। लेकिन यदि इनकी मात्रा ज्यादा हो, या क्वालिटी खराब हो, तो यह किडनी और लिवर पर असर डाल सकते हैं।
ओवरडोज और इसके खतरे
छोटे बच्चों का इम्यून सिस्टम पूरी तरह विकसित नहीं होता। इसलिए किसी भी दवा, खासकर कफ सिरप, का असर उन पर जल्दी और गहरा पड़ता है।
ओवरडोज के संभावित प्रभाव:
- शरीर में Dextromethorphan की अधिक मात्रा से नशे जैसी स्थिति, चक्कर, उल्टी और बेहोशी
- Diethylene Glycol या Ethylene Glycol के कारण किडनी और लिवर पर गंभीर नुकसान
- लंबे समय तक या बार-बार ओवरडोज होने पर शरीर में टॉक्सिसिटी
कई बार माता-पिता डॉक्टर की सलाह के बिना बच्चों को एडल्ट डोज की मात्रा दे देते हैं। इससे सिरप में मौजूद तत्व बच्चे के लिए बेहद खतरनाक बन जाते हैं।
हालिया घटनाओं में हो रही जांच
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हालिया घटनाओं में हो रही जांच[/caption]
मध्य प्रदेश और राजस्थान में बच्चों की मौत के मामले में तीन केंद्रीय एजेंसियों राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC), राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (NIV) और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने संयुक्त जांच की।
कफ सिरप में प्रिज़रवेटिव्स क्यों मिलाए जाते हैं?
सिरप में प्रिज़रवेटिव्स इसलिए डाले जाते हैं ताकि सिरप लंबे समय तक सुरक्षित रहे और मीठा स्वाद बना रहे। छोटे बच्चों के लिए मीठा सिरप अधिक आकर्षक होता है, जिससे वे इसे अधिक मात्रा में लेने की कोशिश कर सकते हैं। हालांकि, प्रिज़रवेटिव्स सीमित मात्रा में सुरक्षित हैं। अधिक मात्रा या लंबे समय तक सेवन से पेट की समस्याएं, किडनी और लिवर पर असर पड़ता है। खराब क्वालिटी वाले प्रिजरवेटिव्स से बैक्टीरिया या टॉक्सिन्स पैदा हो सकते हैं।
बड़ी कंपनियों में आमतौर पर सख्त स्टोरेज और GMP (Good Manufacturing Practices) का पालन होता है। वहीं, छोटी कंपनियों में कभी-कभी लापरवाही और खराब प्रिज़रवेटिव्स का उपयोग होता है।
एक्सपर्ट्स की सलाह
- 2 साल से कम उम्र के बच्चों को कभी भी कफ सिरप न दें।
- 2 साल से ऊपर के बच्चों को सिरप केवल डॉक्टर की जांच के बाद और सही मात्रा में दें।
बच्चों में खांसी की अधिकतर समस्या अपने आप ठीक हो जाती है। इस दौरान घर पर घरेलू उपाय अपनाए जा सकते हैं, जैसे:
- गर्म पानी पीना
- भाप लेना
पर्याप्त आराम और तरल पदार्थ देना
सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि वे बच्चों के लिए सिरप के उपयोग पर जागरूकता फैलाएं।
कफ सिरप कब बन जाता है खतरनाक?
- जब ओवरडोज लिया जाए, खासकर छोटे बच्चों में
- जब सिरप की प्रिज़रवेटिव क्वालिटी खराब हो या मात्रा अधिक हो
- जब एडल्ट डोज या कई दवाओं का मिश्रण बच्चों को दिया जाए
- यदि बच्चे को किसी घटक से एलर्जी है
एलर्जी के हल्के लक्षण
- चेहरे, होंठ या जीभ की सूजन
- त्वचा पर लाल चकत्ते या खुजली
- गले में जलन या खराश
- छींक, नाक बहना
किस उम्र के बच्चों को खतरा होता है?
- 2 साल से कम उम्र के बच्चों में सिरप देना खतरनाक है।
- 2 साल से ऊपर के बच्चों को डॉक्टर की सलाह के बाद ही सिरप दें।
छोटे बच्चों में शरीर में दवा का असर तेजी से होता है और ओवरडोज होने पर किडनी, लिवर और नर्वस सिस्टम पर गंभीर असर पड़ सकता है।
माता-पिता और देखभाल करने वाले डॉक्टर की सलाह के बिना सिरप न दें। इसके साथ ही बच्चों को घरेलू उपायों से राहत दें। केवल प्रमाणित और अच्छी क्वालिटी वाली दवाएं खरीदें। इस प्रकार कफ सिरप बच्चों के लिए केवल तब खतरा बनता है, जब इसका गलत उपयोग या खराब क्वालिटी हो।
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