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Cough Syrup Child Death Case: ड्रग्स विभाग ने नोएडा ऑफिस में की पड़ताल ! सामने आया 18 बच्चों की मौत का मामला

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Bansal News
Cough Syrup Child Death Case:  ड्रग्स विभाग ने नोएडा ऑफिस में की पड़ताल ! सामने आया 18 बच्चों की मौत का मामला

नोएडा। Cough Syrup Child Death Case  विभिन्न केंद्रीय एजेंसियों और उत्तर प्रदेश के औषधि विभाग के एक दल ने बृहस्पतिवार को नोएडा स्थित उस दवा कंपनी के कार्यालय का निरीक्षण किया, जिसकी खांसी की दवा कथित तौर पर पीने के बाद उज्बेकिस्तान में 18 बच्चों की मौत हो गई थी। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

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राज्य सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि मैरियन बायोटेक कंपनी भारत में खांसी की दवा ‘डॉक -1 मैक्स’ नहीं बेचती और इसका निर्यात केवल उज्बेकिस्तान को किया गया है।गौतम बुद्ध नगर के औषधि निरीक्षक वैभव बब्बर ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि नोएडा सेक्टर 67 स्थित मैरियन बायोटेक के कार्यालय में बृहस्पतिवार को सुबह निरीक्षण शुरू किया गया।केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने उज्बेकिस्तान में 18 बच्चों की मौत के मामले का मैरियन बायोटेक से कथित तौर पर संबंध होने की जांच शुरू कर दी है।उज्बेकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने दावा किया है कि इन 18 बच्चों ने खांसी की दवा पी थी। मैरियन बायोटेक के कानूनी मामलों के प्रतिनिधि हसन हैरिस ने कहा कि दोनों देशों की सरकारें इस मामले की जांच कर रही हैं।

हैरिस ने कहा, ‘‘हमारी ओर से कोई समस्या नहीं है और जांच में कोई गड़बड़ नहीं है। हम पिछले 10 वर्ष से काम कर रहे हैं। सरकार की रिपोर्ट आने के बाद हम इस पर गौर करेंगे। फिलहाल (दवा का) निर्माण बंद कर दिया गया है।’’ बब्बर ने कहा कि केंद्र के एक दल ने 27 दिसंबर को निरीक्षण किया था जिसमें जांच के लिए पांच दवाओं के नमूने लिए गए थे।उन्होंने कहा, ‘‘जांच का एक और दौर लंबित है, जिसके लिए हम आज यहां आए हैं।’’औषधि निरीक्षक ने कहा, ‘‘कंपनी का कोई घरेलू बाजार नहीं है और यह केवल उज्बेकिस्तान के बाजार के लिए निर्यात करती है।

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भारत में कोई उत्पाद (डॉक-1 मैक्स) नहीं बेचा गया है।’’उन्होंने कहा कि कंपनी का संचालन वर्तमान में चालू है और उनके पास सभी अनिवार्य लाइसेंस और अनुमोदन हैं, जिसमें केंद्र द्वारा निर्यात के लिए दिया जाने वाला औषधि उत्पाद प्रमाण पत्र (सीओपीपी) भी शामिल है।बब्बर ने कहा, ‘‘अब यह पता लगाने के लिए जांच जारी है कि उन्होंने कच्चा माल कहां से खरीदा और इसका इस्तेमाल कहां किया गया।’’उन्होंने कहा कि कंपनी 2010 से काम कर रही है।इस बीच, जब ‘पीटीआई-भाषा’ ने मैरियन बायोटेक की वेबसाइट देखनी चाही, तो वह बृहस्पतिवार सुबह खुली नहीं और उसके होमपेज पर संदेश लिखा आ रहा था,

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