नई दिल्ली। नए संसद भवन के निर्माण की अनुमानित लागत में 200 करोड़ रुपए की वृद्धि हो सकती है। इसकी वजह इस्पात, इलेक्ट्रॉनिक्स और जरूरत के अन्य सामान व कार्यों का खर्च बढ़ जाना बताया गया है। सूत्रों की माने तो लोकसभा सचिवालय इस सिलसिले में केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) को मंजूरी दे सकता है।
कुल लागत 1200 करोड़ रुपए हो जाने की उम्मीद
सूत्रों ने पीटीआई को बताया कि इस महीने की शुरुआत में सीपीडब्ल्यूडी ने लागत में वृद्धि को सैद्धांतिक मंजूरी देने का लोकसभा सचिवालय से अनुरोध किया था। इस परियोजना के क्रियान्वयन का जिम्मा सीपीडब्ल्यूडी के पास है। उनके मुताबिक इस वृद्धि के बाद परियोजना की कुल लागत 1200 करोड़ रुपए हो जाने की उम्मीद है। नये संसद भवन के निर्माण का ठेका टाटा प्रोजेक्ट्स को 917 करोड़ रुपये में दिया गया था।
इस साल प्रोजेक्ट पूरा करने का लक्ष्य
इस भवन के निर्माण कार्य को इस साल अक्टूबर महीने तक पूरा कर लेने का लक्ष्य रखा गया है। कोशिश है कि संसद का शीतकालीन सत्र नये संसद भवन में हो। सूत्रों ने बताया कि सीपीडब्ल्यूडी ने निर्माण लागत में वृद्धि की वजह इस्पात की खरीद में होने वाली अत्यधिक लागत को बताया है क्योंकि इसे भूकंप रोधी नियमों के अनुरूप बनाया जा रहा है।
बढ़ा इलेक्ट्रॉनिक्स पर खर्च
सूत्रों के मुताबिक सीपीडब्ल्यूडी ने कहा है कि इलेक्ट्रॉनिक्स पर खर्च इसलिए बढ़ गया है क्योंकि अत्याधुनिक ऑडियो-विजुअल सिस्टम लगाए जाने हैं जिनमें दोनों सदनों में सांसदों के बैठने के स्थान पर टैबलेट रखा जाना शामिल है। सूत्रों का कहना है कि इसी प्रकार बैठक कक्षों और मंत्रियों के कमरों में उच्च गुणवत्ता वाले प्रौद्योगिकीय उपकरणों को लगाए जाने पर विचार किया जा रहा है।
लागत में वृद्धि के अन्य कारण
लागत में वृद्धि का एक अन्य कारण यह भी बताया गया है कि परियोजना को क्रियान्वित करने में उच्चतम न्यायालय के विभिन्न निर्देशों का भी पालन करना पड़ रहा है। मसलन, परियोजना स्थल से खुदाई की गई मिट्टी को बेचना नहीं है बल्कि उसे बदरपुर में प्रस्तावित इको पार्क में हस्तांतरित करने का शीर्ष अदालत का निर्देश है। एक सूत्र ने कहा, ‘लोकसभा सचिवालय को इस परियोजना की लागत में वृद्धि को मंजूरी देने के अनुरोध संबंधी प्रस्ताव मिला है और इसे मंजूरी मिल सकती है।’