नई दिल्ली। (भाषा) सरकार ने शुक्रवार को कहा कि अध्ययनों से पता चला है कि टीकाकरण के बाद कोरोना वायरस से संक्रमित होने पर स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों के बीच अस्पताल में भर्ती होने का जोखिम 75-80 प्रतिशत कम हो जाता है और ऑक्सीजन की आवश्यकता घटकर आठ प्रतिशत रह जाती है। उसने कहा कि देश में सात मई को सामने आए कोरोना के सबसे ज्यादा मामलों के बाद से दैनिक मामलों में लगभग 85 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।
सरकार ने कहा कि देश में 10 मई को दर्ज सर्वाधिक उपचाराधीन मरीजों के मुकाबले कोविड-19 के ऐसे मरीजों की संख्या में करीब 78.6 प्रतिशत की गिरावट आई है। सरकार ने कहा कि कोविड-19 के मामलों की साप्ताहिक संक्रमण दर में 81 प्रतिशत की तीव्र कमी दर्ज की गई और यह 30 अप्रैल से छह मई के बीच सर्वाधिक 21.6 प्रतिशत थी। उसने कहा कि देश के 513 जिलों में कोविड-19 संक्रमण दर पांच प्रतिशत से कम है।
ब्ल्यूएचओ और एम्स ने किया सर्वेक्षण
उन्होंने कहा कि डब्ल्यूएचओ और एम्स के सर्वेक्षण से पता चलता है कि 18 वर्ष से कम और 18 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों में सेरोपोसिटिविटी लगभग बराबर है। 18 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों में, 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों में सेरोपोसिटिविटी दर 67 फीसदी और 59 फीसदी है। शहरी क्षेत्रों में, यह 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों में 78 फीसदी और 18 वर्ष से ऊपर के व्यक्तियों में 79 फीसदी है।
क्या कोरोना की तीसरी लहर का होगा बच्चों पर असर?
कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों को ज्यादा कोरोना प्रभावित होने के सवाल पर लव अग्रवाल ने कहा कि यह सच नहीं हो सकता है कि तीसरी लहर में बच्चे अनुपातहीन रूप से प्रभावित होंगे क्योंकि सीरो सर्वे से पता चलता है कि सभी आयु समूहों में सेरोपोसिटिविटी लगभग समान थी। लेकिन सरकार तैयारियों में कोई कसर नहीं छोड़ रही है।