हाइलाइट्स
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5 मार्च को 8617 पटवारियों की हुई नियुक्ति
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भर्ती परीक्षा के रिजल्ट पर लगे थे गड़बड़ी के आरोप
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जांच में मिली क्लिनचिट के बाद भोपाल में हुए थे आंदोलन
MP Patwari Bharti: इन दिनों मध्य प्रदेश का नर्सिंग घोटाला सुर्खियों में बना हुआ है। सीबीआई की जांच पर सवाल उठने के बाद अब इसे व्यापमं घोटाले के बाद दूसरा बड़ा घोटाला कहा जा रहा है। शिक्षा और रोजगार से जुड़े ये एक दो मामले नहीं है जिन पर सवाल खड़े हुए।
मध्य प्रदेश की हर भर्ती का विवादों से गहरा नाता है। इनमें से ही एक भर्ती मध्य प्रदेश पटवारी भर्ती से जुड़ी हुई है। इस भर्ती का विवाद भी ऐसा रहा जिसने नेशनल मीडिया का भी ध्यान अपनी ओर खींचा।
तीन बड़े आंदोलन, 196 दिनों की जांच और 90 दिनों से आरटीआई के जवाब के इंतजार के बाद आखिर ये पूरा विवाद खत्म (MP Patwari Recruitment Dispute Ends) हो गया है। आइये इस विवाद के खत्म होने की सिलसिलेवा कहानी को समझते हैं।
9 लाख 78 हजार 270 उम्मीदवारों ने दी थी परीक्षा
पटवारी भर्ती (MP Patwari Bharti) परीक्षा के लिए 12 लाख 7963 उम्मीदवारों ने आवेदन किया था। इनमें से 9 लाख 78 हजार 270 उम्मीदवार परीक्षा में शामिल हुए थे।
30 जून 2023 को रिजल्ट आने के बाद पटवारी भर्ती परीक्षा में घोटाले (MP Patwari Recruitment Issue) के आरोप लगे थे।
पांच महीने देरी से सौंपी गई रिपोर्ट
पटवारी भर्ती (MP Patwari Bharti) जांच के लिए तत्कालीन शिवराज सरकार ने 19 जुलाई को जस्टिस राजेंन्द्र वर्मा की अध्यक्षता में जांच आयोग का गठन किया था।
इसकी रिपोर्ट के लिए 31 अगस्त तक का समय दिया गया था, लेकिन करीब 5 महीने बाद इसकी रिपोर्ट 30 जनवरी 2024 (MP Patwari Bharti Timeline) को राज्य सरकार को सौंपी गई थी।
470 दिन बाद नियुक्त हुए 8617 पटवारी
5 मार्च को सीएम मोहन यादव ने 8617 पटवारियों को नियुक्ति पत्र देकर 470 दिनों के पटवारी भर्ती (MP Patwari Bharti) विवाद पर अल्पविराम लगा दिया है।
नेशनल एजुकेटेड यूथ यूनियन ने विवादों के बीच नियुक्ति के इस निर्णय के खिलाफ हाईकोर्ट जाने का फैसला लिया।
90 दिनों से आरटीआई के जवाब का इंतजार
एमपी हाईकोर्ट में उम्मीदवार अपना पक्ष और मजबूती से तब ही रख सकते थे, जब उनके हाथ में पटवारी भर्ती (MP Patwari Bharti) परीक्षा की जांच रिपोर्ट आती।
मार्च के पहले सप्ताह में ही 72 पेज की इस जांच रिपोर्ट को लेने के लिए दर्जनों आरटीआई लगा दी गई।
जवाब नहीं मिला तो लोग अपील में भी गए, लेकिन 90 दिनों के बाद भी सिर्फ जवाब का ही इंतजार है।
…और इस तरह हुआ विवाद का अंत
एक आम व्यक्ति के लिए सरकारी दस्तावेज लेने का एक मात्र माध्यम सूचना का अधिकार अधिनियम है।
उम्मीदवारों को आरटीआई में यदि जांच रिपोर्ट मिलती तो इसी के आधार पर कोर्ट के सामने पक्ष रखा जाता।
पर जांच रिपोर्ट नहीं मिलने की वजह से हाई कोर्ट में मामले की कोई बात आगे ही नहीं बढ़ी और इस तरह इस भर्ती विवाद का एक तरह से अंत हो गया।
यह था भर्ती परीक्षा में विवाद
8 जुलाई 2023 (MP Patwari Bharti Timeline) को जब टॉपर्स की लिस्ट जारी हुई तो ग्वालियर के एक ही सेंटर NRI कॉलेज से 10 में से 7 टॉपरों के नाम सामने आने से बवाल मच गया।
इस मुद्दे ने तूल (MP Patwari Appointment Controversy) तब पकड़ा जब एक मीडिया इंटरव्यू में भर्ती परीक्षा की टॉपर ने मध्य प्रदेश की राजधानी को दिल्ली बता दिया और प्रदेश में जिलों की संख्या ही नहीं बता सकी।