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Gangster Durlabh Kashyap: कहानी गैंगस्टर दुर्लभ कश्यप की, बुरे अंत हमेशा बुरा होता है...

दुर्लभ कश्यप क्राइम की दुनिया में इतना बड़ा हो चुका था कि वह सोशल मीडिया पर ही लोगों को धमकियां दिया करता था।

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Bansal News
Gangster Durlabh Kashyap: कहानी गैंगस्टर दुर्लभ कश्यप की, बुरे अंत हमेशा बुरा होता है...

Gangster Durlabh Kashyap: आपने कई गैंगस्टर के किस्से कहानियां सुनी और पढ़ी होंगी। जो शुरूआत तो क्राइम की दुनिया से करते है लेकिन आखिर में उन्हें अपने जान से हाथ धोना पड़ता है या फिर जिंदगी भर जेल में गुजरना पड़ता है। आज हम आपको बताएंगे ऐसे बदमाश की कहानी, जो कच्ची उम्र में जुर्म की दुनिया पर राज करना चाहता था। अलग स्टाइल की वजह से वह युवाओं के बीच काफी पॉपुलर भी हो गया।

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हम बात कर रहे हैं उज्जैन के गैंगस्टर दुर्लभ कश्यप की। साल 2000 में जन्में दुर्लभ कश्यप ने महज 20 साल की उम्र में लोगों के दिल में अपना खौफ बैठा लिया था। माथे पर तिलक, आंखों में काजल और कंधे पर काला कपड़ा दुर्लभ का अपना स्टाइल था। पिता कारोबारी हैं और माता टीचर है। उसके माता पिता ने यह सोच कर नाम रखा था कि वह बड़ा होकर बड़ा नाम करेगा लेकिन दुर्लभ ने तो मानों जुर्म की दुनिया में बड़ा नाम करने की पहले ही ठान ली थी।

मिली जानकारी के अनुसार, दुर्लभ क्राइम की दुनिया में इतना बड़ा हो चुका था कि उसने अपने फेसबुक प्रोफाइल में क्राइम करने के लिए एक विज्ञापन भी लिख रखा था, ‘किसी भी तरह के विवाद के निपटारे के लिए संपर्क करें।’ वह सोशल मीडिया पर ही लोगों को धमकियां दिया करता था। इसी के जरिए वह लोगों से रंगदारी और सुपारी लेने लगा। ऐसा भी कहा जाता है कि वह अपने गैंग में कम उम्र के लड़कों को अक्सर शामिल किया करता था।

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27 अक्टूबर 2018 में दुर्लभ को 23 साथियों के साथ पकड़ा गया था। तब नाबालिग होने पर उसे बाल संप्रेक्षण गृह में रखा गया। किशोर न्याय बोर्ड ने 24 अप्रैल 2019 को उसे इंदौर भेज दिया। वह बालिग हुआ तो पुलिस ने फिर कार्रवाई की। पुलिस के डर से 1 साल से ज्यादा भैरवगढ़ जेल (उज्जैन) में रहा।

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तू जेल में ही सेफ है

तब उज्जैन एसपी सचिन अतुलकर हुआ करते थे। जेल में पूछताछ के दौरान उन्होंने दुर्लभ को देखकर कहा था- तू जेल में ही सेफ है, उम्र से ज्यादा दुश्मनी पाल ली है, बाहर निकलेगा तो कोई मार देगा। 18 साल की उम्र में उसके खिलाफ 9 केस दर्ज हो गए थे। वह जेल से भी गैंग चलाता रहा। 2 साल जेल में बंद रहने के बाद कोरोना काल के दौरान साल 2020 में उसकी रिहाई हो गई। वह कुछ दिन इंदौर में रहकर मां के पास उज्जैन लौट आया।

मौत की कहानी

6 सितंबर 2020 को दुर्लभ दोस्तों के साथ उज्जैन के हैलावाड़ी इलाके में चाय की दुकान पर पहुंचा था। शहनवाज नाम के युवक से कहासुनी होने पर उसने गोली चला दी थी। हालांकि गोली युवक की गर्दन के पास से होकर निकली थी। बदले में शहनवाज के साथियों ने दुर्लभ को घेरकर चाकू से उसके पेट, पीठ, चेहरे, गर्दन पर ताबड़तोड़ 34 वार किए। दुर्लभ के दोस्त इस दौरान उसे छोड़कर भाग गए थे। पुलिस को उसकी बॉडी खून से लथपथ मिली थी। कुछ लोगों का ऐसा भी कहना है कि आज भी उसके नाम से कुछ गैंग एक्टिव हैं।

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