Constitution Facts: संविधान में कुल 22 भाग हैं। हर भाग के पहले एक तस्वीर बनाई गई है। इन तस्वीरों को उस समय के मशहूर चित्रकार नंदलाल बोस और उनके शिष्यों ने बनाया है। इन तस्वीरों में भारतीय इतिहास के मोहनजोदड़ो, वैदिक काल, रामायण, महाभारत, बुद्ध के उपदेश, महावीर के जीवन, मौर्य, गुप्त व मुगल काल, शिवाजी, रानी लक्ष्मीबाई, महात्मा गांधी, सुभाष, जैसे सभी विषयों और महान हस्तियों पर तस्वीरें शामिल की गई है।
इन चित्रों पर संविधान सभा में बहस भी हुई। कई सदस्यों ने सवाल उठाया कि संविधान में अगर राम, सीता, कृष्ण, हनुमान, बुद्ध, महावीर, गुरु गोबिंद सिंह जैसे चित्र होंगे तो वह पंथनिरपेक्ष कैसे? इस पर सदस्यों के बीच बहस हुई और आखिर वोटिंग से तय हुआ कि संविधान में लिखे शब्द ही संविधान का हिस्सा होंगे, चित्र नहीं।
आइए जानें क्या कहते है हमारे संविधान में ऊखरे चित्र-
भारतीय संविधान का कवर
संविधान की मूल अंग्रेजी कॉपी के कवर को सुनहरे रंग के शतदल कमल और अन्य फूलों से सजाया गया है। यह अजंता की भित्ति चित्र शैली है। इसके बीचों-बीच लिखा CONSTITUTION OF INDIA है।
अशोक चिह्न का चित्र
यह भारत का राजकीय प्रतीक अशोक चिह्न है। इसको सारनाथ में मिले अशोक स्तंभ से लिया गया है।
सिंधु घाटी सभ्यता का चित्र
संविधान के पहले भाग की शुरुआत सिंधु घाटी सभ्यता के चर्चित प्रतीक जेबू बैल के चित्र से हुई है। इसका नाम संघ और उसका राज्यक्षेत्र है। जेबू बैल को सबसे शक्तिशाली वंश और मोहन-जो-दारो, हड़प्पा का प्रतीक माना जाता है।
गुरुकुल के चित्र
संविधान के भाग दो की शुरुआत वैदिक काल के गुरुकुल के चित्र से हुई है। इस भाग का नाम नागरिकता है।
पुष्पक विमान का चित्र
संविधान के भाग तीन की शुरुआत राम, सीता लक्ष्मण से हुई है। इस भाग में मौलिक अधिकारों का उल्लेख है। इस चित्र में राम, सीता और लक्ष्मण पुष्पक विमान से अयोध्या लौट रहे हैं।
कुरुक्षेत्र का चित्र
संविधान के भाग चार की शुरुआत कुरुक्षेत्र के चित्र से हुई है। इसमें कृष्ण, अर्जुन को गीता का ज्ञान देते हुए दिखते हैं। इस भाग में राज्य की नीति के निदेशक तत्व बताए गए हैं।
गौतम बुद्ध का चित्र
संविधान के भाग पांच की शुरुआत गौतम बुद्ध से हुई है। इस भाग का नाम संघ है। इस चित्र में बुद्ध लोगों को ज्ञान देते दिख रहे हैं।
तीर्थंकर महावीर का चित्र
संविधान के भाग छह की शुरुआत 24वें जैन तीर्थंकर महावीर से हुई है। इस भाग का नाम है राज्य (पहली अनुसूची के भाग क के राज्य) । चित्र में महावीर ध्यान में बैठे हुए हैं।
सम्राट अशोक का चित्र
संविधान के भाग सात की शुरुआत सम्राट अशोक के चित्र से हुई है। इस भाग का नाम है राज्य (पहली अनुसूची के भाग ख के राज्य)। इसमें अशोक भिक्षुओं के साथ बौद्ध धर्म का प्रसार करते दिख रहे हैं।
हनुमान के चित्र
संविधान के भाग आठ की शुरुआत हनुमान के चित्र से हुई है। इस भाग का नाम राज्य (पहली अनुसूची के भाग ग के राज्य) है। चित्र में हनुमान, सीता की तलाश में उड़ते हुए लंका जा रहे हैं।
राजा विक्रमादित्य के चित्र
संविधान के भाग नौ की शुरुआत राजा विक्रमादित्य के चित्र से हुई है। इस भाग का नाम पहली अनुसूची के भाग घ में शामिल राज्य क्षेत्र है। चित्र में विक्रमादित्य सिंहासन बत्तीसी पर बैठे दिख रहे हैं।
नालंदा विश्वविद्यालय का चित्र
संविधान के भाग 10 पर प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की मुहर और उसका चित्र बना हुआ है। इस भाग का नाम है अनुसूचित और जनजाति क्षेत्र। मुहर पर देवनागरी लिपि में नालंदा विश्वविद्यालय लिखा है।
भरत का चित्र
संविधान के भाग 11 पर राजा भरत का चित्र बना हुआ है। इस भाग का नाम संघ और राज्यों के बीच संबंध है। यह उड़िया शैली की एक कलाकृति है। इसमें राजा भरत घोड़े के साथ खड़े हैं।
नटराज का चित्र
संविधान के भाग 12 में नटराज का चित्र बना हुआ है। इस भाग का नाम वित्त, संपत्ति, संविदाएं और वाद है । यह दक्षिण भारतीय शैली का चित्र है। जिसमें काल की छाती पर पैर रखकर नटराज नृत्य कर रहे हैं।
भगीरथ का चित्र
संविधान के भाग 13 में भगीरथ का चित्र बना है। इस भाग का नाम भारत के राज्यक्षेत्र के भीतर व्यापार, वाणिज्य और समागम है। इसमें महाबलीपुरम मंदिर पर उकेरी गई कलाकृतियों को दर्शाया गया है। शेषनाग के साथ-साथ अन्य देवी-देवताओं के चित्र हैं। इसी चित्र में भगीरथ की तपस्या और गंगा अवतरण को भी दर्शाया गया है।
अकबर के दरबार का चित्र
संविधान के भाग 14 में अकबर के दरबार का चित्र बना हुआ है। इस भाग का नाम संघ और राज्यों के अधीन सेवाएं। इस चित्र में अकबर और उनके दरबारी बैठे हुए हैं। पीछे चंवर डुलती महिलाएं हैं।
छत्रपति शिवाजी और गुरु गोबिंद सिंह का चित्र
संविधान के भाग 15 में मराठा राजा छत्रपति शिवाजी और सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह का चित्र बना है। मूल संविधान में 15वां भाग चुनाव है। यह पहला पन्ना है जिस पर दो चित्र एक साथ हैं।
रानी लक्ष्मीबाई और टीपू सुल्तान का चित्र
संविधान के भाग 16 में रानी लक्ष्मीबाई और टीपू सुल्तान का चित्र बना है। इस भाग का नाम कुछ वर्गों के संबंध में विशेष उपबंध है। संविधान के चित्रों में यहीं से ब्रिटिश काल शुरू होता है।
महात्मा गांधी का चित्र
संविधान के भाग 17 में महात्मा गांधी का चित्र बना है। इस भाग का नाम है आधिकारिक भाषा। चित्र में महात्मा गांधी नमक कानून को तोड़ने के लिए दांडी मार्च करते दिखाई दे रहे हैं।
महात्मा गांधी
संविधान के भाग 18 में भी महात्मा गांधी का चित्र बना है। इस भाग का नाम आपात उपबंध है। यह चित्र बंटवारे से पहले सांप्रदायिक दंगों के समय का है। चित्र में गांधी जी के साथ दीन बंधु एंड्रयूज भी हैं। एक हिंदू महिला गांधी जी को तिलक लगा रही है और कुछ मुस्लिम पुरुष हाथ जोड़कर खड़े हैं।
सुभाष चंद्र बोस का चित्र
संविधान के भाग 19 पर सुभाष चंद्र बोस का चित्र बना हुआ है। इस भाग का नाम प्रकीर्ण है। नेताजी आजाद हिंद फौज के झंडे को सैल्यूट कर रहे हैं, इस झंडे में टीपू सुल्तान का शेर बना हुआ है। चित्र में अंग्रेजी में लिखा है- “हमारे राष्ट्रपिता महात्मा जी, भारत की आजादी की इस पवित्र लड़ाई में हमें अपना आशीर्वाद और शुभकामनाएं दें।”
हिमालय पर्वत का चित्र
संविधान के भाग 20 पर हिमालय पर्वत का चित्र बना है। इस भाग का नाम संविधान का संशोधन है। यह पेज नंबर 167 पर है। इस चित्र से संविधान में देश की भौगोलिक विविधता काे दिखाने का सिलसिला शुरू हुआ है।
ऊंट के काफिले का चित्र
संविधान के भाग 21 पर ऊंट के काफिले का चित्र है। इस भाग का नाम अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष उपबंध है। यह पेज नंबर 168 पर है। चित्र में थार रेगिस्तान के बीच ऊंटों का काफिला गुजरता नजर आता है।
समुद्र में जहाज का चित्र
संविधान के भाग 22 पर समुद्र में जहाज का चित्र बना हुआ है। इस भाग का नाम संक्षिप्त नाम, प्रारंभ और निरसन है। यह पेज नंबर 181 पर बना है। चित्र हमारे गौरवशाली सामुद्रिक प्रभाव और यात्राओं का प्रतीक है।
नंदलाल बोस के बारें में
संविधान के चित्रों को बनाने वाले नंदलाल बोस का जन्म दिसंबर 1882 में बिहार के मुंगेर नगर में हुआ। उनके पिता पूर्णचंद्र बोस ऑर्किटेक्ट और महाराजा दरभंगा की रियासत के मैनेजर थे। उन्होंने 1905 से 1910 के बीच कलकत्ता गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ आर्ट में अबनीन्द्ननाथ ठाकुर से कला की शिक्षा ली।
इंडियन स्कूल ऑफ ओरियंटल आर्ट में पढ़ाया और 1922 से 1951 तक शांंति निकेतन के कला भवन के प्रधानाध्यापक रहे। बोस को 1954 में पद्मविभूषण से भी सम्मानित किया गया।
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