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Aaj Ka Mudda: कर्नाटक चुनाव के नतीजों का असर कांग्रेस पर दिखने लगा है। कांग्रेस कर्नाटक फॉर्मूले को एमपी में आजमाने की कोशिश कर सकती है। इसके लिए प्लान भी तैयार कर लिया गया है। कांग्रेस ने राष्ट्रीय स्तर के नेताओं को हर हुई सीटों की जिम्मेदारी सौंपी है लेकिन बड़ा सवाल है कि, क्या कांग्रेस का कर्नाटक फॉर्मूला मध्यप्रदेश में उसकी जीत का रास्ता आसान बना पाएगा।
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कर्नाटक के बाद अब युद्ध मध्यप्रदेश की धरती पर लड़ा जाएगा। इसके लिए बाकायदा चुनावी रणनीतियों पर काम शुरू हो गया है। कांग्रेस, एमपी को फतह करने के लिए राष्ट्रीय स्तर के नेताओं को मैदान में उतारा है। खासकर उन 66 सीटों पर ऑब्जर्वर उतारे गए हैं। जहां पांच बार से कांग्रेस को सफलता नहीं मिली है। AICC की सहमति से भोपाल, मालवा निमाड़, महाकोशल, विंध्य और ग्वालियर चंबल की जिम्मेदारी चार ऑब्जर्वर को सौंपी गई है।
कर्नाटक के नतीजों ने कांग्रेस में उत्साह भर दिया है, लेकिन बीजेपी भी सतर्कता के साथ ही मिशन 2023 की तरफ बढ़ रही है। जाहिर है कि, कर्नाटक चुनाव में गवर्नेंस और करप्शन जैसे मुद्दों की गूंज सुनाई दी थी। इसलिए बीजेपी ने इन्ही मुद्दों पर कांग्रेस को जवाब देने की तैयारी भी कर रखी है।
चाहे बात गवर्नेंस की हो या फिर करप्शन की, बीजेपी सतर्क नजर आ रही है, वहीं कांग्रेस का कर्नाटक फॉर्मूला ये बता रहा है कि, राष्ट्रीय स्तर के नेता मध्यप्रदेश के सियासी समीकरण साधते दिखेंगे। कुल मिलाकर मध्यप्रदेश की भीषण गर्मी में प्रदेश की सियासत भी खुब तप रही है और जैसे जैसे चुनाव नजीद आएंगे वैसे -वैसे सूबे की सियासत में भी घटनाक्रम और तेजी से बदलते दिखेंगे।
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