नई दिल्ली। Congress President Election 2022 कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए बृहस्पतिवार को अधिसूचना जारी की जाएगी और इसके साथ ही देश के सबसे पुराने राजनीतिक दल के सर्वोच्च पद पर आसीन होने वाले व्यक्ति को चुनने की प्रक्रिया औपचारिक रूप से आरंभ हो जाएगी। पार्टी के वरिष्ठ नेता मधुसूदन मिस्त्री की अध्यक्षता वाले केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण की ओर से यह अधिसूचना जारी की जाएगी।
कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए घोषित कार्यक्रम के अनुसार, अधिसूचना 22 सितंबर को जारी की जाएगी और नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया 24 से 30 सितंबर तक चलेगी। नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि आठ अक्टूबर है। एक से अधिक उम्मीदवार होने पर 17 अक्टूबर को मतदान होगा और नतीजे 19 अक्टूबर को घोषित किये जाएंगे। राहुल गांधी के पार्टी की कमान नहीं संभालने के संकेत देने के बाद अब कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनावी मुकाबला होने के आसार बढ़ गए हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने पहले ही चुनाव लड़ने का संकेत दे दिया है तो राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के भी चुनाव लड़ने की संभावना है।
गहलोत ने मंगलवार को जयपुर में कांग्रेस विधायक दल की बैठक में कहा था कि यदि वह पार्टी अध्यक्ष के पद के लिए नामांकन भरेंगे तो विधायकों को दिल्ली पहुंचने का संदेश आयेगा। विधायक दल की बैठक के बाद राजस्थान के एक कैबिनेट मंत्री ने यह जानकारी दी। प्रदेश के खाद्य आपूर्ति मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास बताया था कि मुख्यमंत्री गहलोत कोच्चि जायेंगे और राहुल गांधी से पार्टी अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने का आग्रह करेंगे। उनके अनुसार, बैठक में मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि यदि उन्हें अध्यक्ष पद के लिए नामांकन भरने को कहा जाता है तो वह विधायकों को सूचित करेंगे। अशोक गहलोत बुधवार को दिल्ली पहुंच रहे हैं और उनकी पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात होने की संभावना है।
इस बीच, कई प्रदेश कांग्रेस कमेटियों ने प्रस्ताव पारित कर कहा है कि राहुल गांधी को एक बार फिर से पार्टी की कमान संभालनी चाहिए। उधर, कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि विभिन्न पीसीसी की ओर से पारित किए गए प्रस्ताव बाध्यकारी नहीं हैं। उनका यह भी कहना है कि किसी से प्रस्ताव पारित करने के लिए नहीं कहा गया है। कांग्रेस की इन इकाइयों ने ये प्रस्ताव उस वक्त पारित किए हैं, जब गत नौ सितंबर को कन्याकुमारी में राहुल गांधी ने यह संकेत दिया था कि वह पार्टी का अध्यक्ष नहीं बनने के अपने पुराने फैसले पर कायम हैं। राहुल गांधी के अपने रुख पर कायम रहने के कारण अब 22 साल बाद कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए चुनावी मुकाबले के प्रबल आसार हैं।वर्ष 2000 में सोनिया गांधी और जितेंद्र प्रसाद के बीच मुकाबला हुआ था जिसमें प्रसाद को करारी शिकस्त मिली थी।
इससे पहले, 1997 में सीताराम केसरी, शरद पवार और राजेश पायलट के बीच अध्यक्ष पद को लेकर मुकाबला हुआ था जिसमें केसरी जीते थे। यह पूछे जाने पर कि क्या राहुल गांधी नामांकन पत्र दाखिल करेंगे, कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने मंगलवार को कहा था, ‘यह फैसला राहुल गांधी को करना है और उन्होंने हमें इस बारे में कुछ नहीं बताया है।’पार्टी प्रमुख की जिम्मेदारी संभालने के लिए राहुल से की गयी अपील के बावजूद, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने इस महीने की शुरूआत में कहा था कि उन्होंने फैसला कर लिया है, लेकिन अपनी योजनाओं का खुलासा नहीं करेंगे।उन्होंने यह भी कहा था कि यदि पार्टी के अध्यक्ष पद के लिए वह आगामी चुनाव नहीं लड़ेंगे तो वह इसके कारण बता देंगे।राहुल की टिप्पणी को पार्टी में इस बात के संकेत के तौर पर देखा गया है कि वह पार्टी के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं है।