MP Vyapam Scam: व्यापमं घोटाले का जिन्न एक बार फिर बाहर आ गया है। 19 सितंबर को 45 परिवहन आरक्षकों की नियुक्ति निरस्त करने के आदेश के साथ ही मामले ने तूल पकड़ लिया। ये नियुक्तियां 2012 में हुई थी।
ये वहीं दौर है जब व्यापमं पर परीक्षाओं और भर्तियों में गड़बड़ी का आरोप लगा था। कांग्रेस ने एक बार फिर व्यापमं का मुद्दा उठाते हुए इस घोटाले की हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस की अध्यक्षता में जांच करने की मांग की है।
सार्वजनिक हो CBI की जांच रिपोर्ट: अरुण यादव
पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने एक बार फिर व्यापमं घोटाले पर सवाल खड़े किये हैं। अरुण यादव ने कहा कि व्यापमं घोटाले की लिस्ट बहुत लंबी है। परिवहन आरक्षकों की नियुक्ति निरस्त करने का आदेश इस बात की पुष्टी करता है कि व्यापमं की परीक्षाओं और भर्तियों में घोटाला हुआ है।
उच्च न्यायालय के रिटायर्ड जस्टिस की अध्यक्षता में इसकी जांच होना चाहिए। सीबीआई ने जो व्यापमं घोटाले की जांच की है, यदि सबकुछ सही है तो उसकी रिपोर्ट सबके सामने आनी चाहिए। अरुण यादव ने कहा कि मप्र सरकार ने व्यापमं के माध्यम से लाखों युवाओं का भविष्य बर्बाद कर दिया है।
ये है पूरा मामला
साल 2012 में मध्यप्रदेश के परिवहन विभाग ने परिवहन आरक्षक भर्ती करने के लिए परीक्षा आयोजित की थी। इसमे महिलाओं के लिए आरक्षित पदों पर विभाग ने पुरुषों को भर्ती कर लिया था। विवाद उठा तो तर्क दिया गया कि महिलाओं के लिए 100 पद आरक्षित थे लेकिन केवल 40 महिलाएं ही इस पद पर भर्ती के लिए पात्र पाई गईं।
महिलाओं के लिए आरक्षित पदों पर पुरुषों की भर्ती के खिलाफ एक महिला ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट ने कुछ समय पहले यह नियुक्तियां निरस्त करने का आदेश पारित किया। शासन ने इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी लेकिन वहां से भी राहत नहीं मिली। जिसके बाद पुरुष परिवहन आरक्षकों की नियुक्ति निरस्त करने के 19 सितंबर को आदेश जारी हुए।
17 पहले ही दे चुके हैं त्यागपत्र
कुल 45 पुरुष परिवहन आरक्षक की नियुक्ति होना है। मामले में एक दस्तावेज भी सामने आया है, जिसके अनुसार मार्च 13 में ही 17 परिवहन आरक्षक त्यागपत्र दे चुके हैं। यानी 28 परिवहन आरक्षक ऐसे हैं जिनकी नियुक्ति पर खतरा है।
व्यापमं ने 198 आरक्षकों के बजाय 332 आरक्षकों का चयन किया था। आरोप है कि महिला अभ्यर्थियों के लिए आरक्षित सीटों पर 45 पुरुष अभ्यर्थियों को शासन ने चयनित कर लिया था।
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सरकार को दो सप्ताह में देना है जवाब
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर 12 साल बाद सरकार ने परिवहन आरक्षकों की नियुक्ति निरस्त करने का आदेश दिया। इस आदेश के 7 दिन के अंदर मामला वापस हाईकोर्ट की चौखट पर पहुंच गया।
जिन परिवहन आरक्षकों की नियुक्ति दाव पर लगी, उन्होंने आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट ग्वालियर का दरवाजा खटखटाया है। इस कोटे में भर्ती तीन आरक्षकों ने बर्खास्तगी की कार्यवाही पर रोक लगाने के लिए हाईकोर्ट की ग्वालियर खण्डपीठ में याचिका दायर की है।
इस मामले में हाईकोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। हाईकोर्ट ने याचिका पर मांग के अनुसार फिलहाल रोक तो नहीं लगाई है, लेकिन शासन को नोटिस देकर दो सप्ताह में जवाब तलब किया है।