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Chattisgarh Dharmantaran: छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण मामले में कांग्रेस और बीजेपी आई आमने-सामने

Chattisgarh Dharmantaran: छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण का मुद्दा लगातार सियासत के केंद्र में रहा है.धर्मांतरण को लेकर फिर सियासत तेज हो गई है.

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Manya Jain
Chattisgarh Dharmantaran: छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण मामले में कांग्रेस और बीजेपी आई आमने-सामने

हाइलाइट

  • धर्मांतरण के मुद्दे पर सियासत तेज
  • छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और बीजेपी आमने सामने
  • सीएम साय का बयान आया सामने
  • मिशनरी पर मुख्यमंत्री ने उठाए सवाल
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Chattisgarh Dharmantaran: छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण का मुद्दा लगातार सियासत के केंद्र में रहा है.प्रदेश में धर्मांतरण के विषय को लेकर एक बार फिर सियासत तेज हो गई है.एक तरफ जहां नया कानून बनाए जाने की बात कही जा रही है, तो वहीं मिशनरी पर मुख्यमंत्री ने भी सवाल उठाए है.जिसके बाद प्रदेश की सियासत में एक बार फिर बयानबाजी का दौर शुरु हो चुका है.

   सीएम साय का बयान आया सामने 

छत्तीसगढ़ में प्रदेश गठन से पहले ही धर्मांतरण का मुद्दा प्रदेश की सियासत के केंद्र बिंदु पर रहा है.धर्मांतरण के मुद्दे को लेकर आरोप प्रत्यारोप का दौर लंबे समय से जारी है.कई बार धर्मांतरण के मुद्दे को लेकर दूरस्त अंचलों में बड़ी घटनाएं भी देखने को मिली है. इस बीच मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का बयान भी सामने आया है.

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मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि "मिशनरियों का बोलबाला है.एजुकेशन और हेल्थ में वह हावी है.उसका दुष्प्रभाव यह हो रहा है कि इसके आड़ में धर्मांतरण ज्यादा करते है.वहीं उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा कि धर्मांतरण रोकने के लिए बीजेपी की सरकार हर वह उपाय करेगी जो धर्मांतरण को रोक सके.छत्तीसगढ़ की डेमोग्राफी ना बदले, संस्कृति सभ्यता है.उस पर किसी तरह का विपरीत प्रभाव न पड़े... इस नाते धर्मांतरण रोकने के लिए हर वह उपाय सरकार करेगी."

   धर्मांतरण मुद्दे पर कांग्रेस आमने सामने 

धर्मांतरण को लेकर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के बयान के बाद कांग्रेस-भाजपा आमने-सामने दिख रही है.कांग्रेस ने जहां डॉक्टर रमन सिंह सरकार में ज्यादा चर्च बनने और मिशनरी को बढ़ावा मिलने का आरोप लगाते हुए प्रदेश सरकार से इस मसले पर श्वेत पत्र जारी कर स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है.वहीं भाजपा पलटवार करते हुए कह रही है कि धर्मांतरण संवेदनशील मुद्दा है.

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भूपेश बघेल की सरकार में एक आईपीएस ने सुकमा से पत्र जारी किया था. उसमे कहा गया था, "आदिवासियों की संस्कृतियों पर आक्रमण हो रहा.ईसाई मिशनरियां धर्मांतरण करा रही,क्या यह पत्र उन्होंने नहीं पढ़ा था?. बीजेपी इस मुद्दे पर सख्ती से निपटने के लिए तैयार है".बता दें छत्तीसगढ़ में सरकार बदलने के बाद धर्मांतरण का मुद्दा एक बार फिर केंद्र बिंदु पर आ गया है. मोदी की गारंटी के साथ ही धर्मांतरण का मुद्दा हावी होता जा रहा है.क्या लोकसभा चुनाव में धर्मांतरण का मुद्दा कितना कारगर साबित होगा और धर्मांतरण पर कब रोक लगेगी.

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