Morbi bridge collapses update मोरबी। पिछले साल मोरबी में झूलता पुल टूटने की घटना में आरोपी ओरेवा समूह के प्रबंध निदेशक जयसुख पटेल ने मंगलवार को एक अदालत में आत्मसमर्पण किया, जिसने उन्हें जेल भेज दिया। पटेल पर मामले में गैर इरादतन हत्या का आरोप है। पिछले साल 30 अक्टूबर को गुजरात के मोरबी शहर में पुल के टूट जाने से कम से कम 135 लोगों की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हो गए थे।
पटेल की कंपनी पर पुल के संचालन और रखरखाव की जिम्मेदारी थी। पटेल ने मोरबी स्थित मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) की अदालत के सामने आत्मसमर्पण कर दिया, जिसने उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। अदालत ने आत्मसमर्पण की पटेल की अर्जी को स्वीकार करते हुए उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया।
पुलिस द्वारा 27 जनवरी को दाखिल आरोप पत्र में पटेल को एक आरोपी के रूप में नामजद किया गया था। अजंता मैन्युफैक्चरिंग लिमिटेड (ओरेवा ग्रुप) मोरबी में मच्छू नदी पर ब्रिटिश काल के झूलता पुल के संचालन और रखरखाव के लिए जिम्मेदार थी, जो मरम्मत के कुछ दिनों बाद पिछले साल 30 अक्टूबर को टूट गया था।
मामले में पीड़ितों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील दिलीप अगेचानिया ने कहा कि जयसुख पटेल ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एम जे खान की अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया, जिसने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 70 के तहत उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। जैसे ही ओरेवा समूह के प्रबंध निदेशक आत्मसमर्पण के लिए पहुंचे, अदालत के बाहर एकत्र पीड़ितों के नाराज परिजन उनके खिलाफ नारेबाजी करने लगे।
आत्मसमर्पण के बाद पटेल को चिकित्सीय जांच के लिए ले जाया गया। मोरबी के पुलिस अधीक्षक राहुल त्रिपाठी ने कहा कि जयसुख पटेल ने अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया। उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। हम जल्द ही अदालत से उनकी हिरासत मांगने की प्रक्रिया शुरू करेंगे। सीजेएम की अदालत में पुलिस उपाधीक्षक पी एस जाला द्वारा दाखिल 1,200 से अधिक पन्नों के आरोप पत्र में, पटेल का जिक्र दसवें आरोपी के रूप में किया गया था।
उन्होंने गिरफ्तारी की आशंका के मद्देनजर अग्रिम जमानत याचिका भी दायर की थी। पुल टूटने की घटना के एक दिन बाद पुलिस ने मामले में नौ लोगों को गिरफ्तार किया था, जिनमें ओरेवा समूह के दो प्रबंधक, टिकट बेचने वाले दो क्लर्क, पुल की मरम्मत करने वाले दो उप-ठेकेदार और भीड़ प्रबंधन करने वाले तीन सुरक्षा गार्ड थे।
जांच रिपोर्ट से यह भी पता चला कि अहमदाबाद के ओरेवा समूह ने मरम्मत और नवीनीकरण कार्य के बाद लोगों के लिए खोलने से पहले पुल की भार वहन क्षमता का आकलन करने के लिए किसी विशेषज्ञ एजेंसी को नियुक्त नहीं किया था।