नई दिल्ली। कोयले की आपूर्ति में दिक्कतों के चलते चीन के पूर्वोत्तर क्षेत्र में कुछ दिनों से बिजली संकट बना हुआ है। इसके चलते एप्पल, टेस्ला जैसी कंपनियों के कारखाने बंद हो गए हैं। हालात यहां तक पहुंच गए हैं कि मॉल और दुकानों को भी बंद करना पड़ रहा है। अब वही संकट भारत पर भी मंडरा रहा है। दरअसल, देश के 72 पावर प्लांट्स (Coal Crisis in Power Plants) में कोयले का भंडार जल्द ही खत्म होने वाला है।
इन प्लांट्स से होता है आधे से ज्यादा बिजली का उत्पादन
बतादें कि इन 72 प्लांट्स में देश की कुल बिजली उत्पादन क्षमता 386.88 गीगावाट का 52.4 फीसदी उत्पादन होता है। यानी कुल बिजली उत्पादन का आधे से ज्यादा। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बाकी बचे 50 प्लांट्स में भी सिर्फ 4 से 10 दिन का कोयला ही मौजूद है। इस संकट को देखते हुए देश की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड (Coal India) ने कहा कि वह इसे टालने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल वही है कि आखिर दुनिया के दूसरे सबसे बड़े कोयला उत्पादक देश में इसकी सप्लाई में समस्या कैसे आ गई?
समस्या के पीछे का कारण
इस समस्या के पीछे कई कारण हैं। पहला कारण यह है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोयले की कीमतें काफी बढ़ी हैं, ऐसे में स्थानीय कोयले की मांग भी बढ़ी है। इसके अलावा बिजली की मांग भी बढ़ने से पिछले कुछ महीनों में कोयले की मांग तेजी से बढ़ी है। जानकारों का मानना है कि लॉकडाउन के दौरान बिजली की काफी मांग थी। लोग अपने घरों में कैद थे। ऐसे में बिजली की खपत काफी ज्यादा बढ़ गई थी। साथ ही इस दौरान कोयले के सफ्लाई चेन पर भी काफी असर पड़ा था। इसके अलावा झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल जैसे इलाकों में ज्यादा बारिश से कोयला उत्पादन प्रभावित हुआ है।
कोल इंडिया ने इसे जिम्मेदार बताया
इनसभी दिक्कतों के बाद अचानक से बिजली की बढ़ी मांग ने कोयला उत्पादकों और पावर प्लांट की सीजनल प्लांनिंग को धाराशायी कर दिया है। वहीं कोल इंडिया की माने तो कोयला संकट के लिए थर्मल पावर प्लांट जिम्मेदार हैं। क्योंकि अगस्त के बाद से ही प्लांट के कोयला भंडार में कमी देखी गई है। इसकी जानकारी संबंधित अधिकारियों को भी दी गई थी। कोल इंडिया के अनुसार वित्तीय वर्ष की शुरूआत में कोयले का भंडरा सामान्य स्तर पर था। जुलाई के अंत तक इसमें मामूली गिरावट देखी गई। लेकिन अगस्त महीने में ऐसा हुआ कि कोयले के स्टॉक में 11 मीट्रिक टन की कमी आ गई। ऐसे में कोल इंडिया ने 29 सितंबर को सूचित किया था कि हमें 22 दिन के स्टॉक की स्थिति को टालना होगा। बतादें कि पावर प्लांट में 22 दिन के स्टॉक को सबसे कम माना जाता है।
समय के साथ बिजली मांग भी बढ़ी
हालांकि, हमे यह भी देखना होगा कि समय के साथ बिजली की मांग भी बढ़ी है। पिछले साल इसी महीने में जहां कोल इंडिया ने 195 मीट्रिक टन कोयले का उत्पादन किया था। वहीं इस साल अगस्त में ही 209.2 मीट्रिक टन का उत्पादन हुआ। लेकिन फिर भी थर्मल प्लांट्स में कोयले की कमी हो गई। क्योंकि पावर प्लांट्स में कोयले की खपत बढ़कर आज 259.6 मीट्रिक टन हो गई है। जबकि दो साल पहले तक यह 208.35 मीट्रिक टन थी। कोल इंडिया ने इस समस्या से निपटने के लिए पिछले तीन दिनों में पावर प्लांट्स को सप्लाई बढ़ाकर 104 मीट्रिक टन प्रतिदिन कर दिया है। अक्टूबर के अंत तक इस सप्लाई में और बढ़ोतरी की उम्मीद है।
एक्शन मोड में आई सरकार
वहीं, कोयला संकट को देखते हुए सरकार भी एक्शन मोड में आ गई है। इस मामले पर केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने कहा है कि हम एक कोर मैनेजमेंट टीम का गठन कर रहे हैं, जो कोयले के स्टॉक और आपूर्ति पर नजर रखेगी। साथ ही कोल इंडिया और इंडियन रेलवे के साथ सप्लाई बढ़ाने पर काम किया जा रहा है।