हाइलाइट्स
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बिजली प्लांट में कोयले का स्टॉक घटा
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रोज 21 हजार टन कोयले की खपत
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ट्रेड यूनियन ने केंद्र को लिखा पत्र
रिपोर्ट: लक्ष्मण महंत
CG Power Plant: छत्तीसगढ़ स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड का सबसे बड़ा विद्युत संयंत्र HTPS कोयला संकट से जूझ रहा है। बिजली उत्पादन करने के लिए संयंत्र में सिर्फ तीन दिन का कोयला स्टॉक बचा हुआ है।
अगर समय रहते कोयले की आपूर्ति नहीं की गई तो प्रदेश के कई इलाकों में ब्लैकआउट हो जाएगा। बिजली आपूर्ति के अभाव में इस भीषण गर्मी में लोगों को कई तरह की परेशानियों से जूझना पड़ता है।
छत्तीसगढ़ के HTPS बिजली प्लांट (CG Power Plant) में कोयले का संकट है। यहां प्रतिदिन 20 से 21 हजार टन कोयले की खपत होती है।
कन्वेयर बेल्ट से भी 22 से 23 हजार टन कोयले की आपूर्ति । पिछले कुछ दिनों से संयंत्र में नियमित सप्लाई नहीं हो रही है। ऐसे में संयंत्र में सिर्फ तीन दिन का कोयला बचा हुआ है।
यहां से की जाती है आपूर्ति
कोरबा (Korba News) जिले के दर्री में विद्युत उत्पादन कंपनी के हसदेव ताप विद्युत संयंत्र (CG Power Plant) में 210 मेगावॉट की चार और 500 मेगावॉट की एक ईकाई संचालित है।
संयंत्र में SECL की कुसमुंडा खदान से कन्वेयर बेल्ट के जरिए कोयले की आपूर्ति की जाती है। सभी इकाइयों के परिचालन में रहने पर संयंत्र में रोज 20 से 21 हजार टन कोयले की खपत होती है।
कन्वेयर बेल्ट से भी 22 से 23 हजार टन कोयले की आपूर्ति संयंत्र में की जाती है, लेकिन पिछले कुछ दिनों से संयंत्र में नियमित रूप से कोयले की आपूर्ति नहीं की जा रही है।
घट गया कोयले का स्टॉक
ट्रेड यूनियन राधेश्याम जायसवाल ने संगठन की ओर से जानकारी दी कि खदान से कोयला नहीं आने के कारण प्लांट मैनेजमेंट को स्टॉक से कोयले की खपत करना पड़ रही है।
इससे स्टॉक में कोयला घटकर 71 हजार टन रहा गया है। जबकि प्लांट में 15 दिन का कोयला स्टॉक में रहना चाहिए। जबकि अब सिर्फ तीन दिन का कोयला प्लांट में बचा है।
ऐसे में प्लांट मैनेजमेंट की चिंता बढ़ गई है। मजदूर नेताओं का आरोप है कि खदान मैनेजमेंट, ज्यादा मुनाफा कमाने की होड़ में निजी कंपनियों को प्राथमिकता दे रहे हैं।
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केंद्र सरकार को लिखा पत्र
HTPS संयंत्र (CG Power Plant) की सभी इकाइयों को कम लोड पर चलाया जा रहा है। 1340 मेगावॉट के इस संयंत्र से 977 मेगावॉट बिजली बन रही है।
वहीं 500 मेगावॉट के DSPM संयंत्र से 421 प्रोड्यूशन हो रहा है। ट्रेड यूनियन ने इस संबंध में कोल इंडिया समेत प्रदेश और केंद्र सरकार को भी पत्र लिखा है।