रायपुर: छत्तीसगढ़ सरकार 17 दिसंबर को अपने दो साल पूरे करने जा रही है। लेकिन उसके पहले ढाई साल के फॉर्मूले को लेकर नया भूचाल आ गया है। कुछ लोग सरकार में बदलाव को लेकर बयान दे रहे हैं। इन बयानों ने राज्य में नया सियासी भूचाल ला दिया है और भूचाल कांग्रेस के अंदर दबी मनभेद मतभेद की राजनीति को सतह पर ला दिया है। दरअसल इस भूचाल के पीछे पिछले दिनों आए मंत्री टी एस सिंहदेव का वह बयान भी माना जा रहा है.. जिसमें उन्होंने मुख्यमंत्री के पद को आलाकमान की मर्जी पर निर्भर बता दिया था।
घर में बर्तन टकराते हैं। लेकिन इसकी आवाज जब पड़ोसी के घर तक पहुंचने लगे तो सवाल उठाने का मौका मिल जाता है। विपक्ष वही कर रहा है टीएस बाबा के इस बयान के बाद सत्ता सिंहासन परिवर्तन जैसी बातों को हवा मिली और विपक्ष ने इसे हाथों हाथ लिया।
अब विपक्ष और अपनों के बयानों के तीर जब सत्ता पक्ष पर चले तो बिना नाम लिए मुख्यमंत्री ने भी ऐसे लोगों को सीधे नसीहत डाली। मुख्यमंत्री ने बात का बतंगड़ बनाने वालों को छत्तीसगढ़ के विकास का विरोधी करार दिया। लेकिन इन बयानों के पीछे का सच क्या है। प्रदेश सरकार में वरिष्ठ मंत्री टीएस सिंहदेव फिलहाल दिल्ली में हैं और बंसल न्यूज ने उनसे फोन पर बात की।
वैसे तो छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को बंपर सीटें मिली हैं और 70 सीटों के साथ सरकार चला रहे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की कुर्सी को कोई बाहरी खतरा भी नहीं है। लेकिन आलाकमान के नाम को लेकर उछाले जा रहे सवालों पर मुख्यमंत्री ज्यादा देर शांत नहीं रह सके उन्होंने अपने विरोधियों और विपक्ष दोनों को सीमाएं बता दी हैं। इन बयानों से एमपी जैसा ख्बाव देख रही बीजेपी को झटका लग सकता है। लेकिन बयानों से उठे भूचाल ने प्रदेश की सियासत में नई कंपन तो पैदा कर ही दी है। इसकी खनक आने वाले कई दिनों तक सत्ता और राजनीतिक गलियारों में गूंजती रहेगी।