हाइलाइट्स
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लोकसभा के तीसरे चरण में बिलासपुर सीट पर भी मतदान
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इस बार तोखनराम साहू और देवेंद्र यादव के बीच मुकाबला
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2019 में BJP के अरुण साव यहां से बने सांसद
Bilaspur Lok Sabha Seat: लोकसभा के तीसरे चरण में बिलासपुर सीट पर भी मतदान होना है. बिलासपुर में 7 मई को वोटिंग होगी. बिलासपुर संसदीय सीट के लिए बीजेपी प्रत्याशी तोखनराम साहू और कांग्रेस के प्रत्याशी देवेंद्र यादव के बीच सीधा मुकाबला (Lok Sabha Election 2024) है. देवेंद्र यादव लोरमी के पूर्व विधायक और भिलाई के मौजूदा विधायक हैं. इस सीट के लिए शुरू से ही इन दोनों पार्टियों के बीच संघर्ष की स्थिति रही है.
बिलासपुर लोकसभा सीट काफी हॉट सीट मानी जाती है. यह सीट 1952 में पहली बार अस्तित्व में आई थी. 2019 के चुनाव में भाजपा के अरुण साव यहां से सांसद बने थे. उन्होंने कांग्रेस के अटल श्रीवास्तव को हराया था. बिलासपुर पिछले कई सालों से बीजेपी का गढ़ रहा है. इस सीट पर 1996 से बीजेपी का कब्जा है.
बिलासपुर सीट का राजनीतिक इतिहास
बिलासपुर सीट (Bilaspur Lok Sabha Seat) बीजेपी के गढ़ के रूप में अपनी पहचान बनाने में सफल रही है. इस सीट का तीन बार परिसीमन हुआ है. शुरुआत में यह सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित थी. इसके बाद इसे अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित कर दिया गया. वहीं साल 2009 में इसे फिर से सामान्य कर दिया गया था. इस सीट पर साल 1996 से बीजेपी का कब्जा रहा है. साल 1996 से 2004 के बीच 4 बार हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी के पुन्नूलाल मोहले यहां से जीते. मोहले के नाम लगातार चुनाव जीतने का कीर्तिमान भी रहा है.
मोहले के बाद बीजेपी के दिग्गज नेता दिलीप सिंह जूदेव यहां (Bilaspur Lok Sabha Seat) से चुनाव लड़े. जूदेव यहां साल 2009 में सांसद निर्वाचित हुए. 2009 में कांग्रेस ने पूर्व सीएम अजीत जोगी की पत्नी डॉ. रेणु जोगी को उम्मीदवार बनाया था. वहीं साल 2014 के चुनाव में बिलासपुर सीट (Lok Sabha Chunav 2024) की राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनी. 2014 में कांग्रेस ने यहां से पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला को प्रत्याशी बनाया था. करुणा को बीजेपी के एक सामान्य कार्यकर्ता लखनलाल साहू ने एक लाख 75 हजार वोटों के अंतर से हराया.
बिलासपुर सीट पर ओबीसी वर्ग की बहुलता
इस सीट (Bilaspur Lok Sabha Seat) पर ओबीसी वर्ग की बहुलता है. इसमें साहू और कुर्मी की जनसंख्या सबसे अधिक है. ओबीसी में यादव भी प्रभावी भूमिका में हैं. बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र (Lok Sabha Chunav 2024) में 9 विधानसभा सीटें आती हैं. ये सीटें- लोरमी, कोटा, मुंगेली, बिल्हा, बिलासपुर, तखतपुर, बेलतरा और मस्तूरी हैं. बता दें कि बिलासपुर लोकसभा में दो जिला बिलासपुर और मुंगेली को शामिल किया गया है. इस सीट पर करीब 18 लाख 11 हजार 606 मतदाता हैं. इनमें से 9 लाख 21 हजार 521 पुरुष वोटर्स हैं. तो वहीं 8 लाख 89 हजार 970 महिला मतदाता हैं. 2019 लोकसभा चुनाव में 12 लाख 9 हजार 434 वोटर्स ने मतदान किया था. मतलब यहां 67 फीसदी मतदान हुआ था.
विकास का हाल और स्थानीय मुद्दे
बिलासपुर (Bilaspur Lok Sabha Seat) में घरेलू हवाई सेवा के लिए परमिशन मिल चुकी है. रायपुर बिलासपुर सिक्स लेन रोड अंतिम चरण में है. वहीं बिलासपुर-कटघोरा फोरलेन 3 हजार 762 करोड़ की लागत से बनेगा. जिस पर काम शुरू हो गया है. 4 हजार 606 करोड़ की लागत से बनने जा रही अरपा भैंसाझार बैराज परियोजना अंतिम चरण में है. साथ ही बिलासपुर-रायपुर सड़क मार्ग पर स्थित तिफरा फ्लाई ओवर का काम भी शुरू है.
बता दें कि बिलासपुर स्मार्ट सिटी घोषित हो चुका है और काम भी शुरू हो चुका है. यहां के स्थानीय मुद्दों में चकरभाठा एयरपोर्ट से हवाई सेवा की शुरुआत न होना, चिटफंड कंपनियों के विरुद्ध कार्रवाई को लेकर निवेशक और एजेंटों की लामबंदी, शराब बंदी को लेकर ग्रामीण लगातार बना रहे दबाव, जिला खनिज न्याय फंड में करोड़ों का घोटाला प्रमुख है.
बिलासपुर संसदीय सीट की खास बातें
छत्तीसगढ़ के 11 लोकसभा क्षेत्रों में से बिलासपुर (Bilaspur Lok Sabha Seat) एक है. इस क्षेत्र में 6 विधानसभा क्षेत्रों को समाहित किया गया है. ऐतिहासिक रूप से यह क्षेत्र कलचुरी राजवंश का भाग था. फिर यहां मराठा राजवंश ने किलों को बनवाया था. यह क्षेत्र काफी लंबे समय तक मछुवारों की बस्ती रहा है. बिलासपुर सुगंधित दूबराज चावल की किस्म के लिए भी विख्यात है. इसके अलावा यहां हथकरघा उद्योग से निर्मित कोसे की साड़ियां भी देशभर में प्रसिद्ध है. बिलासपुर सांस्कृतिक रूप से भी समृद्ध है और यहां की संस्कृति कई विविधताओं और रंगों को समाहित किये हुए है.
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