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CJI चंद्रचूड़ को जान से मारने की धमकी: सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से नाराज था शख्स; FIR दर्ज; आरोपी अभी तक गिरफ्तार नहीं

CJI Chandrachud Threat: CJI चंद्रचूड़ को जान से मारने की धमकी: सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से नाराज था शख्स; भीमसेना नेता के खिलाफ FIR दर्ज

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Preetam Manjhi
CJI चंद्रचूड़ को जान से मारने की धमकी: सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से नाराज था शख्स; FIR दर्ज; आरोपी अभी तक गिरफ्तार नहीं

हाइलाइट्स

  • CJI चंद्रचूड़ को जान से मारने की धमकी
  • आरोपी सुप्रीम कोर्ट के फैसले था नाराज
  • FIR दर्ज कर आरोपी की तलाश में जुटी पुलिस
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CJI Chandrachud Threat: देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (Dhananjaya Yeshwant Chandrachud ) को बैतूल के जिले के रहने वाले भीमसेना के प्रदेश प्रभारी को जान से मारने की धमकी दी है।

बता दें कि आरोपी पंकज अतुलकर आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से नाराज था, जिसके चलते उसने मुख्य न्यायाधीश को फेसबुक पर पोस्ट करके जान से मारने की धमकी दी है। हालांकि पुलिस ने आरोपी के खिलाफ FIR दर्ज करली है और तलाश में जुटी है।

https://twitter.com/BansalNewsMPCG/status/1820727413195649518

आरोपी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले था नाराज

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने SC और ST के अंदर सामाजिक और आर्थिक रूप से ज्यादा पिछड़ी जातियों को कोटा की मंजूरी दी है। इस फैसले के बाद की राजनीतिक दलों ने विरोध जताया था। सोशल मीडिया पर भी इस फैसले को लेकर बहस छिड़ी हुई थी।

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इसी दौरान बैतूल के रहने वाले पंकज अतुलकर ने अपने फेसबुक अकाउंट पर पोस्ट में लिखा कि वो CJI को जान से मार डालेगा। इसके पीछे की वजह ये है कि क्योंकि उन्होंने SC-ST के लोगों को गुलाम बनाने का फैसला सुनाया है, जो कि संविधान का उल्लंघन करता है।

आरोपी की तलाश में जुटी पुलिस

मामले में बैतूल पुलिस ने शख्स के खिलाफ FIR दर्ज कर ली है। बैतूल गंज थाना प्रभारी रविकांत दहेरिया की मानें तो भारतीय न्याय संहिता और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत FIR दर्ज की गई है। आरोपी की तलाश में पुलिस जुटी हुई है।

सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया था ये फैसला

गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने SC और ST आरक्षण को लेकर बड़ा फैसला सुनाया था। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 7 जजों की संविधान पीठ ने SC-ST में कोटे के अंदर मंजूरी दे दी है।

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यानी कि SC-ST कोटे में सब कैटेगरी किया जा सकता है। EV चिन्नैया के 2004 के फैसले को 7 जजों की संविधान पीठ ने पलट दिया, जिसमें अनुसूचित जातियों के अंदर कुछ उप-जातियों को लाभ देने से इनकार किया गया था।

आपको बता दें कि साल 2004 में 5 जजों की संविधान पीठ ने EV चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश राज्य मामले में फैसला सुनाया था कि SC और ST के सदस्य एक समान ग्रुप के हैं, जिन्हें आगे किसी भी उप-समूह में बांटा नहीं जा सकता।

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