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CJI BR Gavai Shoe Attack Explained: सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस (CJI) बीआर गवाई के सामने जूता फेंकने वाले 71 वर्षीय वकील डॉ. राकेश किशोर ने मंगलवार को अपने कृत्य का बचाव किया। किशोर का कहना है कि उन्होंने यह कदम भावनात्मक आघात और न्यायपालिका द्वारा उनके मामले को ठेंगा दिखाने के कारण उठाया। इस घटना के तुरंत बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने किशोर का वकील लाइसेंस तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।
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पूरा मामला
यह घटना सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में तब हुई जब CJI गवाई की बेंच के सामने केस में मेंशनिंग चल रही थी। गवाहों के अनुसार, राकेश किशोर अचानक डेस्क की ओर बढ़े, जूता उतारा और जज की ओर फेंकने का प्रयास किया। सुरक्षा कर्मियों ने तुरंत हस्तक्षेप किया और इस प्रयास को विफल कर दिया।
राकेश किशोर की सफाई
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ANI से बातचीत में किशोर ने कहा कि वह CJI के पिछले सुनवाई के दौरान उनकी टिप्पणी से गहरे आहत थे। उन्होंने कहा, CJI को यह समझना चाहिए कि जब वे इतनी उच्च संवैधानिक पोस्ट पर हैं, तो ‘Milord’ का अर्थ और गरिमा को समझना चाहिए। आप मॉरिशस जाकर कहते हैं कि देश बुलडोज़र से नहीं चलेगा। मैं CJI और जो मेरे खिलाफ हैं, उनसे पूछता हूं योगी आदित्यनाथ जी द्वारा सरकारी संपत्ति पर अतिक्रमण हटाने का बुलडोजर कार्रवाई गलत थी क्या? मैं आहत हूं और हमेशा आहत रहूंगा।
इससे पहले अक्टूबर 2025 में मॉरिशस में Sir Maurice Rault Memorial Lecture में CJI गवाई ने कहा था कि भारत की कानूनी प्रणाली “Rule of Law” पर आधारित है, न कि “Rule of Bulldozer” पर। उन्होंने अपने ही फैसले का हवाला देते हुए कहा था कि किसी भी संपत्ति को तोड़ने की कार्रवाई कानूनी प्रक्रिया के बिना नहीं की जा सकती।
पीआईएल पर टिप्पणी और नाराजगी
राकेश किशोर ने दावा किया कि उनका यह कदम 16 सितंबर को दायर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (PIL) के दौरान न्यायपालिका द्वारा उनका मजाक उड़ाने के कारण था। मैं गहरा आहत था। 16 सितंबर को एक पीआईएल दायर किया गया। न्यायमूर्ति गवाई ने इसे पूरी तरह ठेंगा दिखाया। उन्होंने कहा, 'भक्तिपूर्वक मूर्ति से प्रार्थना करें, अपनी ही मूर्ति से अपने सिर को वापस दिलवाएं।’ यह मजाक था।
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अन्य समुदायों के मामलों में न्यायपालिका का रवैया
किशोर ने आरोप लगाया कि न्यायपालिका अन्य समुदायों के मामलों में अलग ढंग से काम करती है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि हल्द्वानी में रेलवे भूमि पर अतिक्रमण करने वाले समुदाय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने तीन साल पहले स्थगन आदेश जारी किया, जो अब तक लागू है। नूपुर शर्मा मामले में कोर्ट ने कहा, “आपने माहौल बिगाड़ा।” किशोर ने कहा कि सामान्य जनता और सनातन धर्म से जुड़े मामलों में सुप्रीम कोर्ट अलग ढंग से कार्रवाई करता है। उन्होंने जल्लीकट्टु और दही हांडी के मामलों का भी हवाला दिया।
भावनात्मक तनाव और मजबूती
राकेश किशोर ने कहा कि उनका यह कदम नशे या आवेग में नहीं था। मैंने यह कदम भावनात्मक तनाव में उठाया। मैं नशे में नहीं था, कोई दवा नहीं ली थी। यह मेरी प्रतिक्रिया थी। मुझे डर या पछतावा नहीं है। किशोर ने अपनी शैक्षणिक योग्यता का जिक्र करते हुए कहा कि उनके पास MSc, PhD और LLB हैं और वे गोल्ड मेडलिस्ट हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उनका यह कृत्य जातिगत आधार पर नहीं था।
राजनीतिक और न्यायिक प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना की कड़ी निंदा की और कहा कि “पूरे देश को यह क्रूर घटना क्रोधित करती है।” उन्होंने CJI गवाई से बात कर उनकी शांति की सराहना की। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) ने भी वकील के इस व्यवहार की कड़ी निंदा करते हुए फर्म रिज़ॉल्यूशन जारी किया।
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