MP Civil Judge Recruitment Exam 2022: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एक अंतरिम आदेश के तहत सिविल जज भर्ती परीक्षा 2022 सहित अन्य सभी चयन परीक्षाओं को याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन कर दिया है। एक जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की खंडपीठ ने हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल और विधि एवं विधायी कार्य विभाग के प्रमुख सचिव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
भर्ती परीक्षाओं के कम्यूनल आरक्षण को चुनौती
अनुसूचित जाति एवं जनजाति अधिकारी-कर्मचारी संघ (अजाक्स) की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर, विनायक प्रसाद शाह, पुष्पेन्द्र कुमार शाह और रूप सिंह मरवी ने पक्ष रखा। याचिका में हाईकोर्ट द्वारा की जाने वाली समस्त भर्ती परीक्षाओं मे लागू किए जा रहे कम्यूनल आरक्षण को चुनौती दी गई है। उन्होंने बताया कि कम्यूनल आरक्षण लागू करके हाईकोर्ट की परीक्षा सेल ने सिविल जज भर्ती परीक्षा-2022 मे एससी और एसटी के एक भी अभ्यर्थी का चयन नहीं किया है। वहीं आरक्षित वर्ग के रिक्त पदों को सामान्य वर्ग से भरने के लिए हाईकोर्ट ने राज्य शासन को पत्र लिखकर अनापत्ति मांगी है।
हाईकोर्ट में क्या हुआ ?
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट को बताया गया कि सिविल जज भर्ती परीक्षा की प्रारम्भिक परीक्षा के रिजल्ट में अनारक्षित वर्ग का कट-ऑफ 113 अंक और ओबीसी का 109 अंक है। इसके बावजूद परीक्षा सेल ने 113 से 129 तक अंक प्राप्त करने वाले आरक्षित वर्ग के एक भी मेरिटोरियस को अनारक्षित वर्ग में चयनित नहीं किया।
सैंकड़ों कैंडिडेट्स अयोग्य
हाईकोर्ट में दस्तावेज पेश कर बताया गया कि स्टेनोग्राफर और सहायक ग्रेड की भर्तियों मे अनारक्षित वर्ग का कट ऑफ अंक 74 और आरक्षित वर्ग के 88 अंक है। इससे सैकड़ों आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी जिन्होंने 75 से 87 अंक हासिल किए थे उनको परीक्षा सेल ने मुख्य परीक्षा के लिए अयोग्य घोषित कर दिया। वहीं सामान्य वर्ग के 563 अभ्यर्थी जिन्होंने 74 अंक प्राप्त किए हैं, उन्हें प्रारम्भिक परीक्षा में उत्तीर्ण कर मुख्य परीक्षा में शामिल किया गया और नियुक्ति भी दे दी गई।
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PSC से हो चयन
याचिका में मांग की गई कि अभ्यर्थियों को आरक्षण नियमों के अनुरूप चयनित किया जाए। आरक्षित वर्ग के प्रतिभावान अभ्यर्थियों को परीक्षा के प्रत्येक चरण में (प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा) अनारक्षित वर्ग में चयनित किए जाए। वहीं साक्षात्कार में 20 अंकों की अनिवार्यता समाप्त की जाए। यह मांग भी की गई कि हाईकोर्ट द्वारा आयोजित की जाने वाली समस्त भर्तियों को लोकसेवा आयोग और कर्मचारी चयन मण्डल से कराई जाए।
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