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Midday Meal: बाजरे की रोटी और खिचड़ी का स्वाद चखेंगे बच्चे, जानिए इसके पोषक तत्व

Midday Meal उत्तर प्रदेश के स्कूलों में मध्याह्न भोजन में शामिल होगा मोटा अनाज। बेहतर पोषण के लिए बाजरे की रोटी और खिचड़ी देने की तैयारी।

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Bansal News
Midday Meal: बाजरे की रोटी और खिचड़ी का स्वाद चखेंगे बच्चे, जानिए इसके पोषक तत्व

लखनऊ। Midday Meal स्कूल में को बेहतर पोषण के लिए सरकार ने सप्ताह में कम से कम एक बार बाजरे की रोटी और खिचड़ी देने की तैयारी की है, जिसकी शुरुआत जल्‍द हो सकती है। वर्ष 2023 को 'अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष' घोषित किया गया है। इस संबंधी प्रस्ताव भारत सरकार ने पेश किया था, जिसे संयुक्त राष्ट्र महासभा के 75वें सत्र और एफएओ (खाद्य और कृषि संगठन) शासी निकाय के सदस्यों द्वारा अनुमोदित किया गया था।

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जल्द ही बैठक होगी

उत्तर प्रदेश में स्कूल शिक्षा महानिदेशक विजय किरण आनंद ने बताया कि मध्याह्न भोजन में मोटे अनाज को शामिल करने के संबंध में हम जल्द ही केंद्र सरकार के अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। कक्षा एक से आठ तक के सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में मध्याह्न भोजन Midday Meal उपलब्ध कराने के लिए जिम्मेदार उत्तर प्रदेश के मध्याह्न भोजन प्राधिकरण ने केंद्र सरकार को प्रस्ताव दिया है कि राज्य भर के 1.42 लाख स्कूलों में छात्रों को मोटा अनाज आधारित भोजन परोसा जाए।

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सब्जी या मूंग की दाल दी जाएगी

योजना के मुताबिक, मध्याह्न भोजन Midday Meal में छात्रों को बाजरे की रोटी या खिचड़ी परोसी जाएगी। इसके साथ सब्जी या मूंग की दाल दी जाएगी। इसके लिए मध्याह्न भोजन प्राधिकरण को अनुमानित 62,000 टन मोटा अनाज खरीदने की जरूरत है। वर्तमान में सप्ताह में छह दिन बच्चों को सब्जियों या प्रोटीन के साथ गेहूं या चावल से बने व्यंजन परोसे जाते हैं। उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने हाल में मध्याह्न भोजन कार्यक्रम में बाजरा को शामिल करने की योजना की घोषणा की थी।

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एफसीआई को प्रस्ताव भेजा है

मध्याह्न भोजन कार्यक्रम के लिए बाजरा उपलब्ध कराने के वास्ते राज्य सरकार ने भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को एक प्रस्ताव भी भेजा है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने कहा कि अगर केंद्र सरकार द्वारा प्रस्ताव को मंजूरी दे दी जाती है और आवश्यक मात्रा में खरीद की जाती है, तो गर्मियों की छुट्टियों के बाद योजना जल्द ही लागू हो जाएगी। अभी तक उत्तर प्रदेश में मध्याह्न भोजन Midday Meal का कुल बजट लगभग 3,000 करोड़ रुपए है। केंद्र सरकार लागत का 60 प्रतिशत वहन करती है और शेष राज्य द्वारा वहन किया जाता है।

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गेहूं-चावल की तुलना में बेहतर भोजन

विशेषज्ञों के अनुसार बाजरा पोषक तत्वों के साथ-साथ आवश्यक यौगिकों से भरपूर होता है और गेहूं या चावल की तुलना में बेहतर भोजन Midday Meal विकल्प माना जाता है। लखनऊ में रहने वाली आहार विशेषज्ञ पूर्णिमा कपूर ने कहा कि फिलहाल मोटा अनाज हमारे घरों में भोजन के रूप में अकसर नहीं खाया जाता है। इसलिए, स्कूल में बच्चों के लिए बाजरा को भोजन के रूप में पेश करना एक चुनौती होगी।

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