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छत्तीसगढ़ के इस जिले में डेंटल फ्लोरोसिस का शिकर हो रहे बच्चे: इस बीमारी को कंट्रोल करने के लिए लगाए गए प्लांट हुए बंद

Dental fluorosis Disease: छत्तीसगढ़ के इस जिले में डेंटल फ्लोरोसिस का शिकर हो रहे बच्चे: इस बीमारी को कंट्रोल करने के लिए लगाए प्लांट हुए बंद

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Harsh Verma
छत्तीसगढ़ के इस जिले में डेंटल फ्लोरोसिस का शिकर हो रहे बच्चे: इस बीमारी को कंट्रोल करने के लिए लगाए गए प्लांट हुए बंद

Dental fluorosis Disease: छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में कई गांवों के बच्चे डेंटल फ्लोरोसिस का शिकर हो रहे हैं. इस पर नियंत्रण करने के लिए जिले के 40 गांवों में 6 करोड़ की लागत से प्लांट भी लगाए गए थे. जिनमें अब ताले लटक रहे हैं. ये प्लांट कुछ महीने में ही बंद हो गए.

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बता दें कि यह बीमारी (Dental fluorosis) पानी में फ्लोराइड की अधिक मात्रा से होती है. जिले के प्रभावित गांवों में हर साल 100 से ज्यादा स्कूली छात्र डेंटल फ्लोरोसिस की चपेट में आते हैं. फिलहाल, इन गांवों में 50 से 60 बच्चे इ बीमारी से ग्रसित मिले हैं. वहीं देवभोग ब्लॉक के गांवों में तो कुल पीड़ितों की संख्या 2 हजार से भी ज्यादा बताई जाती है.

   इन गांवों में 50 से 60 बच्चे डेंटल फ्लोरोसिस से ग्रसित

29 Dental Fluorosis Stock Vectors and Vector Art | Shutterstock

शासन-प्रशासन को साल 2016 में जांच के बाद फ्लोराइड ज्यादा होने की जानकारी लगी. देवभोग ब्लॉक के 40 गांव के स्कूलों में जो पेयजल सप्लाई हो रही है, वहां 8 गुना तक ज्यादा फ्लोराइड मिला था. इसके बाद प्रशासन ने कार्य योजना बनाई और सभी प्रभावित स्कूलों में फ्लोराइड रिमूवल प्लांट लगाने का निर्णय लिया.

रिपोर्ट के बाद इन सोर्स को बंद तो कराया नहीं गया न ही कोई वैकल्पिक व्यवस्था की गई. जांच में पता चला कि हेवी फ्लोराइड वाले ग्राम पीठापारा, नांगलदेही, गोहरापदर, दरलीपारा, घूमगुड़ा, झाखरपारा, मोखागुड़ा, धुपकोट, सुकलीभाठ, निष्टिगुड़ा, खम्हारगुड़ा, मूरगुडा, पूरनापानी, माहुकोट, बाड़ी गांव, बरबहली, धौराकोट, कर्चिया, मगररोडा, मूड़ागाव जैसे प्रत्येक गांव में 50 से 60 बच्चे डेंटल फ्लोरोसिस से ग्रसित मिले.

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Fluorosis challenge: In Mewat, a radio station is helping spread awareness about the disease

सभी बच्चों की उम्र 6 से 10 साल है. जानकारी के अनुसार, देवभोग ब्लॉक में इनकी संख्या 2 हजार से अधिक है. देवभोग अस्पताल में पदस्थ डेंटिस्ट डॉक्टर सनी यादव ने कहा कि डेंटल फ्लोरोसिस फ्लोराइड की मात्रा ज्यादा होने से होता है. दांत में पीलापन इसकी पहचान है.

   हड्डियों को प्रभावित करता है डेंटल फ्लोरोसिस

डॉक्टर ने बताया कि ये लाइलाज बीमारी है. अगर फ्लोराइड की मात्रा को समय रहते कम नहीं की जाता तो यह हड्डियों को प्रभावित करता है. आगे चल कर बदन में अकड़न, किडनी रोग, बुखार जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. बड़ों के हड्डियों में झुकाव, कमर बैंड होना भी फ्लोराइड की ज्यादा मात्रा के लक्षण में शामिल है.

   स्केलेटल फ्लोरोसिस

बता दें कि यह एक हड्डी रोग है जो केवल तब होता है जब लोग लम्बे समय तक बड़ी मात्रा में फ्लोराइड के संपर्क में रहते हैं. इसमें हड्डी का टेढ़ापन और पूरे शरीर में दर्द की परेशानी हो रही है.

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   प्रधान पाठक कई बार कर चुके हैं शिकायत

[caption id="" align="alignnone" width="567"]publive-image फ्लोराइड रिमूवल प्लांट में लटका ताला[/caption]

मगररोड़ा, धौराकोट,  कांडपारा, गाड़ाघाट, पीठापारा के प्रधान पाठकों ने कहा कि बंद प्लांट को शुरू कराने के लिए कई बार प्रयास किया.  ठेकेदार के मुनीम से लेकर पीएचई विभाग के इंजीनियर तक को बताया गया, लेकिन कोई सुध लेने नहीं आया.

लहीं पीएचई विभाग के एसडीओ सुरेश वर्मा ने बताया है कि वर्तमान ईई इन प्लांट को लेकर गंभीर हैं. प्लांट मेंटेनेंस की कार्य योजना बनाकर बजट पास कराया गया है. टेंडर लगाए जा चुके हैं. जल्द ही सभी प्लांट के मेंटेनेंस काम शुरू कर दिए जाएंगे.

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   किसी प्लांट में ताला लटका तो किसी में कांटे भरे मिले

[caption id="" align="alignnone" width="571"]publive-image फ्लोराइड रिमूवल प्लांट बंद पड़े हुए हैं[/caption]

मगररोड़ा प्राथमिक मिडिल स्कूल के प्लांट में ताला लटका था. अंदर कांटे भर दिए गए थे.  गाड़ाघाट, धौराकोट, डूमरपीठा, कुसकोना, माहुलकोट, चीचिया, मूंगीया के प्लांट से पंप और फिल्टर मशीन तक कंपनी के लोग निकाल ले गए.  नांगलदेही, कांडपारा, धूपकोट, पुरनापानी जैसे 10 से ज्यादा स्कूलों के सोलर प्लेट क्षतिग्रस्त मिले.

जानकारी मिली कि, इन प्लांटों को लगातार मेंटेनेंस की जरूरत होती है, क्योंकि भारी मात्रा में फ्लोराइड को साफ करना पड़ता है. काम पूरा होने के बाद इसका रखरखाव 2-3 विभागों के बीच फंस गया. इसके बाद कुछ महीनों में एक-एक कर प्लांट बंद हो गए.

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