Advertisment

Child became Lakhpati : भीख मांगकर गुजारा कर रहा था लावारिस बच्चा, पल भर में बदल गई किस्मत

author-image
Bansal News
Child became Lakhpati : भीख मांगकर गुजारा कर रहा था लावारिस बच्चा, पल भर में बदल गई किस्मत

पिरान कलियर। उत्तराखंड के पिरान कलियर में एक बच्चे की किस्मत पल भर में ही बदल गई। कहावत की ही तरह रंक से राजा बन गया। हरिद्वार जिले में स्थित विख्यात मुस्लिम तीर्थ पिरान कलियर में भीख मांग कर गुजारा करने को मजबूर एक लावारिस बच्चा पल भर में 50 लाख रुपए से अधिक की संपत्ति का मालिक बन गया। करीब 11 वर्षीय शाहजेब नाम के बच्चे की कहानी फिल्म सरीखी लगती है। तीन साल पहले उसकी मां उसे लेकर कलियर क्षेत्र में आकर रहने लगी थी, लेकिन मां की मौत के बाद से वह लावारिस हो गया और भीख मांगकर या किसी चाय की दुकान पर काम कर अपना पेट भर रहा था। दो दिन पहले उसके एक रिश्तेदार मोबिन अली कलियर यहां आए और उन्होंने उसे पहचान लिया और उसके घर पहुंचाया।

Advertisment

दादा ने लिखी वसीयत

शाहजेब को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के नांगल कस्बे के पंडोली गांव में उसके घर पहुंचाने वाले उसके फूफा अली ने बताया कि शाहजेब और उसकी मां की तलाश में विफल रहने के बाद उसके दादा मोहम्मद याकूब ने मरने से पहले अपनी वसीयत में उसके नाम आधी जायदाद कर दी थी। याकूब ने अपनी वसीयत में लिखा था कि जब भी शाहजेब मिले तो आधी संपत्ति उसे सौंप दी जाये। शाहजेब के नाम गांव में करीब पांच बीघा जमीन और एक पुश्तैनी मकान है जिसकी कीमत 50 लाख रुपये से ज्यादा बताई जा रही है। मोबिन अली ने बताया कि पांच साल पहले तक शाहजेब हंसी खुशी अपने मां-बाप के साथ रहता था, लेकिन मां इमराना का पिता नावेद से किसी बात पर झगड़ा होने पर उसकी मां उसे लेकर अपने मायके हरियाणा के यमुनानगर चली गयी, जहां से कुछ समय बाद वह किसी को कुछ बताये बिना रुड़की के पास पिरान कलियर आ गयी। इसी बीच, नावेद अपनी पत्नी और बच्चे को लेकर यमुनानगर पहुंचा, लेकिन वहां वे दोनों नहीं मिले और न ही उनका कोई अता-पिता मिला।

बहू और पोते की खोज की

पत्नी और बच्चे की तलाश करते-करते एक दिन नावेद की मौत हो गयी। बेटे की मौत के बाद हिमाचल प्रदेश के एक इंटर कॉलेज से ​सेवानिवृत्त नावेद के पिता मोहम्मद याकूब ने बहू और पोते की खोज जारी रखी और उनकी तलाश में दीवारों पर पोस्टर लगवाने से लेकर सोशल मीडिया तक का सहारा लिया। हालांकि, पोते शाहजेब से मिलने की उनकी आस पूरी होने से पहले ही उनकी आंखें भी सदा के लिए बंद हो गयीं। शाहजेब इस समय उसके दादा याकूब के छोटे भाई शाह आलम और उनके परिवार के साथ हैं, जहां शाह आलम उसे अच्छे स्कूल में दाखिल कराने के बारे में सोच रहे हैं। शाह आलम ने बताया कि शाहजेब भी अपने परिजनों के बीच पंहुचकर खुश है मगर उसकी आंखों में मां-बाप के न होने को लेकर सूनापन भी है।

uttarakhand news millionaire beggar beggar boy became millionaire Billionaire
Advertisment
WhatsApp Icon चैनल से जुड़ें