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Wash On Wheels: QR कोड स्कैन करो और चंद मिनटों में स्वच्छता साथी आपके घर, 'वॉश ऑन व्हील्स' मॉडल को PM मोदी ने भी सराहा

Wash On Wheels: छिंदवाड़ा जिले ने शौचालय सफाई में एक अभिनव पहल की शुरुआत की है, जिसे 'वॉश ऑन व्हील्स' नाम दिया गया है। इस मॉडल के तहत क्यूआर कोड स्कैन करते ही स्वच्छता साथी शौचालय की सफाई के लिए पहुंच जाते हैं, जिससे सफाई की प्रक्रिया त्वरित और प्रभावी बनती है।

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Bansal news
Wash On Wheels: QR कोड स्कैन करो और चंद मिनटों में स्वच्छता साथी आपके घर, 'वॉश ऑन व्हील्स' मॉडल को PM मोदी ने भी सराहा

हाइलाइट्स

  • सुर्खियों में छिंदवाड़ा का ‘वॉश ऑन व्हील्स’ मॉडल
  • QR कोड स्कैन करते ही मिल रही स्वच्छता सेवा
  • मॉडल से अब तक 39 युवाओं को रोजगार मिला।
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Chhindwara Wash On Wheels: मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा से शुरू हुआ ‘वॉश ऑन व्हील्स’ नामक यह मॉडल देशभर में चर्चा का विषय बन गया है। 'वॉश ऑन व्हील्स' (Wash On Wheels) मॉडल से पलभर में शौचालयों की सफाई हो रही है। क्यूआर स्कैन करते ही यहां कुछ ही देर में स्वच्छता साथी पहुंच जाते हैं। इस नवाचार की पीएम नरेंद्र मोदी भी प्रशंसा कर चुके हैं। इस मॉडल से अब तक 39 युवाओं को रोजगार मिल चुका है।

'वॉश ऑन व्हील्स' से शौचालय सफाई में क्रांति

छिंदवाड़ा जिले में स्वच्छता की दिशा में एक नई पहल शुरू की गई है, जिसे 'वॉश ऑन व्हील्स' नाम दिया गया है। इस मॉडल के तहत क्यूआर कोड स्कैन करके शौचालयों की सफाई की जाती है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता की स्थिति में सुधार हो रहा है। भोपाल के जंबूरी मैदान में हुए महिला सशक्तिकरण महासम्मेलन के दौरान पीएम मोदी ने इस नवाचार की खुलकर प्रशंसा की थी, साथ ही ग्रामीण भारत में स्वच्छता का प्रभावी मॉडल बताया। इसे प्रदेश स्तर पर लागू करने की भी योजना है।

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'वॉश ऑन व्हील्स' मॉडल की शुरुआत

छिंदवाड़ा में 26 सितंबर 2024 को 'वॉश ऑन व्हील्स' मॉडल की शुरुआत की गई थी। इस इस योजना की शुरुआत राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने की थी।इस पहल के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालयों की सफाई के लिए क्यूआर कोड आधारित सेवा शुरू की गई है। शुरुआत में तीन स्वच्छता साथी शामिल थे, जिनमें परासिया से आयुष सिंगारे, हर्रई से अनामिका बेलवंशी और बलराम यदुवंशी शामिल हैं। इसकी शुरुआत में जिला पंचायत के अधिकारियों ने प्रशिक्षण दिया था। साथ ही सफाई मशीन और अन्य उपकरण उपलब्ध कराए। अब तक 39 युवाओं को रोजगार मिला है।

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QR कोड स्कैन और स्वच्छता साथी तैयार 

उपयोगकर्ता क्यूआर कोड स्कैन करके शौचालय की सफाई के लिए अनुरोध कर सकते हैं। स्वच्छता साथी अपनी बाइक और सफाई उपकरण के साथ निर्धारित स्थान पर पहुंचकर सफाई करते हैं। इस सेवा से शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में स्वच्छता की स्थिति में सुधार हो रहा है। बता दें कि, योजना के तहत ग्रामीण इलाकों के सरकारी भवनों और स्कूलों में बने शौचालय की साफ-सफाई की जा रही है। अब लोगों के घरों में भी ये सेवा दी जा रही है। यह मॉडल जिले में सफल होने के बाद प्रदेश स्तर पर भी लागू किया जाएगा।

राष्ट्रीय स्तर पर मिली पहचान

"वॉश ऑन व्हील्स" मॉडल अब एक जिला स्तर की योजना नहीं रही, बल्कि यह स्वच्छता, नवाचार और महिला सशक्तिकरण का एक शानदार उदाहरण बन चुकी है, प्रधानमंत्री मोदी की सराहना मिलने से यह योजना अन्य जिलों और राज्यों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनती जा रही है। यह अभियान ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालयों की सफाई और स्वच्छता को बढ़ावा देता है।

क्यूआर कोड से सफाई की प्रक्रिया

स्वच्छता साथी एक क्यूआर कोड जनरेट करते हैं, जिस पर सारी जानकारी भरने के बाद मैसेज सीधे स्वच्छता साथी को मिलता है। वे अपनी बाइक और सफाई उपकरण के साथ निर्धारित स्थान पर पहुंचकर शौचालय की सफाई करते हैं।

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उपकरण और सुरक्षा के साथ सफाई

स्वच्छता साथी बैटरी से संचालित क्लीनिंग मशीन, हेलमेट, ग्लब्स, पाइप, जैकेट और मास्क का उपयोग करते हैं। इसके अलावा, उन्हें व्यक्तिगत सुरक्षा किट भी प्रदान की जाती है। इस योजना से अब तक 39 युवाओं को रोजगार मिला है। स्वच्छता साथी दिनभर में 100 से 150 ऑर्डर प्राप्त करते हैं, जिससे उनकी मासिक आय 20,000 रुपए तक हो सकती है।

सफाई के लिए लगता है सेवा शुल्क

शासकीय संस्थानों में 5 किमी से कम दूरी पर 200 रुपए और 5 किमी से ज्यादा की दूरी पर 250 रुपए शुल्क लिया जाता है। निजी व्यक्ति 50 रुपए में अपना शौचालय साफ करवा सकते हैं। भुगतान ऑनलाइन ही लिया जाता है।

योजना का प्रदेश स्तर पर विस्तार

योजना की सफलता के बाद इसे प्रदेश स्तर पर लागू करने के लिए एक समिति बनाई गई है, जिसमें एनआइसी मध्य प्रदेश और स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण की वरिष्ठ निदेशक प्रीति कोठारी, संयुक्त निदेशक दीपक व्यास, संयुक्त आयुक्त शिवानी वर्मा, प्रोग्रामर अरविंद श्रीवास्तव और यूनिसेफ को सलाहकार के रूप में जोड़ा गया है। समिति को 15 जुलाई तक मोबाइल एप निर्माण, प्रक्रियाओं का दस्तावेजीकरण और सेवा प्रारंभ करने की दिशा में काम करना है।

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