छिंदवाड़ा। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने आज छिंदवाड़ा दौर के कार्यक्रम में एक अहम घोषणा की। सीएम ने कहा कि अब पांढुर्ना को नया जिला बनाया जाएगा । सीएम छिंदवाड़ा के सौंसर में कार्यक्रम के दौरान जनसभा को संबोधित कर रहे थे इसी दौरना उन्होंने यह घोषणा की है। छिंदवाड़ा से अलग होकर बनेगा नया जिला पांढुर्णा। सौंसर विधानसभा को भी पांढुर्ना जिले में शामिल किया जाएगा।
बात दें कि कमलनाथ का गृहग्राम भी पांढुर्ना जिले में आएगा। पांढुर्ना, सौसर और नंदनवाड़ी को मिलाकर बनेगा 54वां नया जिला।
पांढुर्ना की लोकेशन
प्रशासनिक दृष्टि से वर्तमान में पांढुर्ना (Pandhurna) प्रदेश के छिंदवाड़ा ज़िले का एक महत्वपूर्ण व्यापारिक तहसील और नगर है। छिंदवाड़ा जिला मुख्यालय से इस शहर की दूरी लगभग 95 किमी है।
जबकि प्रदेश की राजधानी से यह नगर लगभग 264 किमी के दूरी पर है। ‘जाम’ नदी के किनारे बसा यह शहर नेशनल हाईवे-69 (NH-69) और दक्षिण पूर्व मध्य-रेलवे मार्ग पर स्थित है, जो सांस्कृतिक रूप से प्रसिद्ध गोटमार (पत्थर मार) मेले के जाना जाता है। प्रसिद्ध जामसांवली हनुमान मंदिर नगर से लगभग 25 किमी। की दूरी पर स्थित है।
कृषि और राजस्व में पांढुर्ना का योगदान
पांढुर्ना मध्य प्रदेश के एक प्रमुख कृषि उत्पादक क्षेत्र है, जहां से सरकार को अच्छा राजस्व प्राप्त होता है। इस नगर और आसपास की उपजाऊ भूमि पर यहां के कृषक समुदाय मूंगफली, सोयाबीन, कपास, गेहूं, अरहर, चना, मूंग, ज्वार, मक्का, उड़द आदि अनाजों से अपना निर्वाह करते हैं। साथ ही यहां कद्दू, लौकी बरबटी हरी सब्जियों के साथ संतरा जैसे फल का भी उत्पादन किया जाता है। ये उत्पाद न केवल स्थानीय विक्रय केन्द्रों को बल्कि और अंतर-राज्यीय मंडियों में भी भेजा जाता है। शहर के आस-पास ऑयल मिलें और धागा मिलें भी स्थापित की गई हैं।
पांढुर्ना अहम क्यों?
बीजेपी ने पांढुर्ना को जिला बनाने की घोषणा करके एक नया दांव खेल दिया है। छिंदवाड़ा पूर्व सीएम कमलनाथ का गढ़ माना जाता है। ऐसे में बीजेपी के पांर्ढुना को जिला बनाने की कवायद को बड़ी रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। अभी छिंदवाड़ा पूरा जिला एक लोकसभा क्षेत्र है। पांर्ढुना के जिला बनने के बाद छिंदवाड़ा लोकसभा में दो जिले हो जाएंगे।
आदिवासी बहुल इलाका है पांढुर्ना
छिंदवाड़ा जिले के अंतर्गत आने वाला पांढुर्ना एक बहुल आदिवासी इलाका है। यहां की विधानसभा सीट पर फिलहाल कांग्रेस का कब्जा है, पांढुर्ना से नीलेश उइके विधायक है। बता दें कि पांढुर्ना की जनसंख्या 3 लाख 10 हजार 472 हैं। जिसमें से लगभग आधी आबादी आदिवासियों की है। पांढुर्ना से छिंदवाड़ा की दूरी 90 किलोमीटर है। ऐसे में यहां के रहवासियों को छिंदवाड़ा आने में काफी परेशानी होती थी। लंबे समय से पांढुर्ना को जिला बनाने की मांग की जा रही थी। आज पूरी हुई है।
कमलनाथ का गृहनगर है पांढुर्ना
पांढुर्ना और सौंसर को मिलाकर जिला बनाने की तैयारी की जा रही है। जिसके चलते पूर्व सीएम कमलनाथ का गृहनगर पांढुर्ना जिले में आ जाएगा। नया जिला बनने से बीजेपी को फायदा मिलेगा। एक तरफ जिला बनने से लोगों की लंबे समय से जिला बनाने की मांग पूरी होगी और लोगों का साथ बीजेपी को मिलेगा।
वहीं पूर्व सीएम कमलनाथ को समीकरण साधने में कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी। आपको बता दें कि 1980 से छिंदवाड़ा में जबदस्त पैठ रही है। इसकी बड़ी वजह ये मानी जाती है कि छिंदवाड़ा लोकसभा और छिंदवाड़ा जिला एक ही है।
सौसर और पांढुर्ना को मिलाकर बनेगा जिला
जानकारों की माने तो पांढुर्ना और सौसर विधानसभा को मिलाकर नया जिला बनाया जाएगा जिसका मुख्यालय पांढुर्ना में रखने की उम्मीद है। यहां गौर करने वाली बात यह है कि दोनों ही विधानसभा यदि जिला में कन्वर्ट होती है तो पूर्व सीएम कमलनाथ को यहां नई रणनीति के तहत काम करना पड़ेगा। क्योंकि मुख्यमंत्री की यह घोषणा भाजपा के लिए फायदेमंद हो सकती है।
संभाग का मिल सकता है दर्जा
छिंदवाड़ा के संभाग का दर्जा भी मुख्यमंत्री के दौरे में मिल सकता है पूर्व में उन्होंने पहले ही छिंदवाड़ा को संभाग बनाने की घोषणा कर दी थी लेकिन अब मुख्यमंत्री छिंदवाड़ा दौरे में छिंदवाड़ा को संभाग बना सकते हैं।
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