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हाइलाइट्स
- छिंदवाड़ा में रहस्यमयी बीमारी से 22 दिन में 4 बच्चों की मौत।
- बीमारी को लेकर ICMR और स्वास्थ्य विभाग की जांच जारी।
- बच्चों को शुरू आ रहा बुखार, बाद में किडनी फेलियर से मौत।
Chhindwara Children Kidney Failure Mystery Illness: मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में एक रहस्यमयी बीमारी का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। किडनी फेल होने से एक और मासूम की मौत हो गई है, जिससे अब तक इस बीमारी की चपेट में आकर जान गंवाने वाले बच्चों की संख्या 4 हो चुकी है। यह सिलसिला 7 सितंबर से शुरू हुआ था, जब पहला बच्चा इस अज्ञात बीमारी का शिकार बना। बीमारी का पहला लक्षण तेज बुखार और जुकाम होता है, जो धीरे-धीरे किडनी में संक्रमण और फिर फेलियर में बदल जाता है। इस बीमारी के फैलने से लोग दहशत में हैं, साथ ही स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच हुआ है।
जिले में तेजी से फैल रही जानलेवा बीमारी की जड़ तक पहुंचने के लिए दिल्ली से ICMR (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) की टीम छिंदवाड़ा में डटी हुई है। साथ ही, भोपाल से स्वास्थ्य विभाग की टीम भी लगातार गांव-गांव जाकर सर्वे कर रही है और पानी के स्रोतों की जांच कर रही है। हालांकि, तमाम कोशिशों के बावजूद अब तक इस बीमारी की सटीक वजह का खुलासा नहीं हो सका है। ICMR टीम द्वारा लिए गए सैंपल जांच के लिए पुणे की लैब में भेजे गए हैं, और रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है।
रहस्यमयी बीमारी से अब तक 4 बच्चों की मौत
छिंदवाड़ा जिले में रहस्यमयी बीमारी से मौतों का आंकड़ा बढ़ते जा रहा है। दीघावानी गांव में रहने वाले चार वर्षीय विकास यदुवंशी ने नागपुर के अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। बताया जा रहा है कि बीते हफ्ते विकास को तेज बुखार, सर्दी और खांसी की शिकायत हुई थी। कुछ ही समय बाद उसकी पेशाब रुक गई, जिसके बाद उसकी हालत बिगड़ने लगी।
प्राथमिक इलाज के लिए उसे पहले छिंदवाड़ा लाया गया और फिर गंभीर स्थिति में नागपुर रेफर किया गया था। जहां इलाज के दौरान शनिवार को उसकी मौत हो गई। रविवार को गांव में मासूम का अंतिम संस्कार कर दिया गया।
रहस्यमयी बीमारी से विकास से पहले से तीन बच्चों की मौत हो चुकी है। अब तक सामने आए सभी मामलों में बीमारी की शुरुआत तेज बुखार और यूरीन रुकने से हुई है, जो आगे चलकर किडनी फेलियर में बदल जाती है। यह सिलसिला 7 सितंबर को शुरू हुआ था, जब पहली मौत हुई थी। जिले में लगातार हो रही इन मौतों ने प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की नींद उड़ा दी है।
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बढ़ती बीमारी से लोगों में दहशत
फिलहाल जिले भर में इस अज्ञात बीमारी को लेकर भय और चिंता का माहौल है। कई बच्चे अभी भी छिंदवाड़ा और नागपुर के अस्पतालों में भर्ती हैं। जानकारी के मुताबिक, परासिया में उमरेठ के जाटाछापर, बड़कुही और गायगोहान गांव से कई बच्चे इलाज के लिए नागपुर रेफर किए गए हैं। इन बच्चों में भी सर्दी, खांसी, बुखार जैसे लक्षण दिखाई दे रहे हैं, जिसके बाद किडनी फेल होने के मामले सामने आए हैं। स्थानीय लोग अब अपने बच्चों को लेकर जांच और इलाज के लिए अस्पतालों की ओर रुख कर रहे हैं। जिले में बढ़ती इस बीमारी से लोगों में हड़कंप मचा हुआ है।
स्वास्थ्य विभाग ने जारी की एडवायजरी
स्वास्थ्य विभाग ने बढ़ते मामलों को देखते हुए एडवायजरी जारी की है। गांवों में पर्चे बांटे जा रहे हैं और परिजनों से अपील की गई है कि वे बच्चों के खान-पान, दवाओं के डोज और साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दें।
कलेक्टर ने भी अपील की है कि लोग किसी भी लक्षण को नजरअंदाज न करें और तुरंत सरकारी अस्पताल में इलाज करवाएं। उन्होंने बताया कि सरकारी अस्पतालों में जांच, रेफरल और इलाज की बेहतर व्यवस्था मौजूद है, जिससे समय पर उचित उपचार मिल सके।
ICMR और स्वास्थ्य विभाग की टीम जांच में जुटी
बीमारी की गंभीरता को देखते हुए दिल्ली से ICMR की टीम और भोपाल से स्वास्थ्य विभाग की टीम छिंदवाड़ा पहुंची है। गांव-गांव जाकर सर्वे किया जा रहा है। पानी के सैंपल लिए गए हैं, जिन्हें जांच के लिए पुणे भेजा गया है। रिपोर्ट का इंतजार है।
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पहले भी जा चुकी हैं कई मासूम जानें
- उसेद खान (4 साल): बुखार के बाद किडनी संक्रमण, ब्रेन हेमरेज से मौत, 3 लाख खर्च।
- अदनान खान (5 साल 8 माह): बुखार और उल्टी के बाद किडनी फेल, 4 लाख खर्च।
- हितांश सोनी (4 साल): 18 दिन इलाज चला, 8 लाख खर्च लेकिन जान नहीं बची।
7 सितंबर से अब तक 4 बच्चों की मौत हो चुकी है। बीमारी की शुरुआत बुखार, जुकाम और उल्टी से होती है। इसके बाद किडनी फेलियर होता है। परिजन इलाज के लिए लाखों रुपये खर्च कर रहे हैं लेकिन बच्चों की जान नहीं बच पा रही।
परिजनों का कहना है कि उन्होंने बच्चों के इलाज में अपनी जमा-पूंजी तक लगा दी, लेकिन फिर भी बच्चों को नहीं बचा पाए। वे सरकार से इस बीमारी की जांच तेज़ करने और पीड़ित परिवारों की आर्थिक सहायता की मांग कर रहे हैं।
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