Chhindwara News: छिंदवाड़ा में आयोजित जगद्गुरु शंकराचार्य की कथा में शनिवार को एक अनोखा और चौंकाने वाला दृश्य देखने को मिला। राजनीति के दो धुर विरोधी- छिंदवाड़ा से वर्तमान भाजपा सांसद विवेक बंटी साहू और पूर्व कांग्रेस सांसद नकुलनाथ- मंच पर आमने-सामने तो हुए, लेकिन आधे घंटे तक दोनों ने न एक-दूसरे की ओर देखा और न कोई बातचीत की। यह मंज़र ना सिर्फ वहां मौजूद श्रद्धालुओं को चौंकाने वाला लगा, बल्कि पूरे जिले में चर्चा का विषय बन गया।
धार्मिक मंच पर भी सियासी दूरियां बरकरार
कथा (Chhindwara News) में दोनों नेता गुरुजनों के सामने एक साथ बैठे, उन्होंने श्रद्धा भाव से जगतगुरु शंकराचार्य की चरण पादुका को माथे से लगाया और धार्मिक संदेशों को ध्यान से सुना, लेकिन एक-दूसरे की उपस्थिति को पूरी तरह नज़रअंदाज़ किया। यह दृश्य साफ दर्शाता है कि लोकसभा चुनावों के बाद छिंदवाड़ा की राजनीति में तल्खियां अब भी बरकरार हैं।

कांग्रेस से भाजपा की ओर सियासी मोड़
छिंदवाड़ा लोकसभा सीट पर दशकों से कमलनाथ और कांग्रेस का प्रभाव रहा है, लेकिन इस बार 2024 के आम चुनाव में भाजपा के बंटी साहू ने नकुलनाथ को एक लाख से अधिक मतों से हराकर इस परंपरा को तोड़ दिया। चुनावी रंजिश और तीखी बयानबाजी के बाद दोनों नेता पहली बार सार्वजनिक मंच पर आमने-सामने आए, पर राजनीतिक खाई अब भी जस की तस दिखाई दी।
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“समय रहते करें सही कार्य, समय बीतने पर पछतावा ही हाथ लगता है”
कथा के दौरान जगतगुरु शंकराचार्य ने अपने उद्बोधन में गहरा जीवन संदेश देते हुए कहा, “हर समय स्थिति बदलती रहती है। जब आपको लगे कि आप सक्षम हैं, उसी समय कार्य को पूर्ण कर लें। धर्म की रक्षा के लिए भी ऐसा ही समय है जब सबको एक साथ खड़ा होना होगा।” उन्होंने यह भी कहा कि समय बीत जाने के बाद किसी कार्य को करने का औचित्य नहीं रहता।
जहां मंच पर राजनीति का मौन दिखा, वहीं शंकराचार्य के वचनों ने श्रद्धालुओं के मन में ऊर्जा का संचार किया। मंच पर भले ही संवाद न हुआ हो, लेकिन कथा स्थल पर धर्म, आस्था और आत्मबोध की गूंज हर तरफ सुनाई दी। अब देखने वाली बात यह होगी कि छिंदवाड़ा की सियासत में यह ‘मौन मिलन’ किसी भविष्य की संकेतना है या फिर सिर्फ एक इत्तेफाक।
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