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Rajkumar College Property Tax: रायपुर नगर निगम ने करीब 14 साल बाद एक बड़ी और चर्चित कार्रवाई को अंजाम दिया है। नगर निगम ने शहर के प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान राजकुमार कॉलेज से 1 करोड़ 64 लाख रुपये का बकाया संपत्ति कर वसूल किया है। यह टैक्स वर्ष 2012-13 से लेकर 2025-26 तक का बताया जा रहा है, जिसे लंबे समय से जमा नहीं किया गया था।
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वर्षों तक चलता रहा नोटिस का सिलसिला
जानकारी के अनुसार, नगर निगम की ओर से राजकुमार कॉलेज को बीते कई वर्षों में संपत्ति कर भुगतान को लेकर नोटिस पर नोटिस जारी किए गए, लेकिन हैरानी की बात यह रही कि इतने लंबे समय तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। आमतौर पर नगर निगम छोटे व्यापारियों और आम नागरिकों पर बकाया कर को लेकर तुरंत सख्ती दिखाता है, संपत्ति सील तक की जाती है, लेकिन इस मामले में वर्षों तक नरमी बरती गई।
इसी कारण नगर निगम के रवैये पर लगातार सवाल उठ रहे थे। लोगों का कहना था कि क्या नियम केवल आम जनता के लिए हैं, या बड़े संस्थानों पर भी समान रूप से लागू होते हैं। यह मामला निगम के कथित दोहरे चरित्र का उदाहरण बनता जा रहा था।
सवालों के बाद हरकत में आया निगम
लगातार हो रही आलोचना और सवालों के बीच आखिरकार नगर निगम हरकत में आया। नगर निगम रायपुर के जोन क्रमांक 5 की टीम ने कार्रवाई करते हुए राजकुमार कॉलेज से 1 करोड़ 64 लाख रुपये का बकाया संपत्ति कर वसूल किया। इस कार्रवाई को निगम के लिए एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है।
आयुक्त और अधिकारियों ने की सराहना
इस वसूली के बाद नगर निगम आयुक्त विश्वदीप और उपायुक्त जागृति साहू ने जोन कमिश्नर खीरसागर नायक के नेतृत्व में काम करने वाली पूरी टीम की सराहना की।
आयुक्त विश्वदीप ने कहा कि इस बकाया कर की वसूली से नगर निगम के राजस्व में महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा, जिससे शहर के विकास कार्यों को गति दी जा सकेगी। उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में बकाया कर के मामलों में सख्ती बरती जाएगी और किसी भी संस्था या व्यक्ति को नियमों से ऊपर नहीं रखा जाएगा।
निगम की छवि और आगे की चुनौती
हालांकि इस कार्रवाई के बाद नगर निगम को राहत जरूर मिली है, लेकिन यह सवाल अब भी कायम है कि 14 साल तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई। शहरवासियों का मानना है कि यदि समय रहते कार्रवाई की जाती, तो निगम को इतना बड़ा बकाया जमा होने का इंतजार नहीं करना पड़ता।
यह मामला नगर निगम के लिए एक सबक भी माना जा रहा है कि कर वसूली में समानता और पारदर्शिता बेहद जरूरी है। अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या भविष्य में निगम सभी बकायेदारों के खिलाफ इसी तरह निष्पक्ष और समयबद्ध कार्रवाई करता है या नहीं।
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