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CG Land Diversion: छत्तीसगढ़ में जमीन डायवर्सन पर साय सरकार का बड़ा फैसला, अब ऑनलाइन होगी पूरी प्रक्रिया; SDM को 15 दिन में आदेश देना जरूरी

छत्तीसगढ़ सरकार ने भूमि स्वामियों को बड़ी राहत देते हुए जमीन डायवर्सन की प्रक्रिया को पूरी तरह ऑनलाइन कर दिया है। अब नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत और ग्रामीण क्षेत्रों में घर बैठे डायवर्सन के लिए आवेदन किया जा सकेगा।

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Harsh Verma
cg news (29)

CG Land Diversion: छत्तीसगढ़ में साय सरकार ने जमीन से जुड़े मामलों में एक बड़ा और अहम फैसला लिया है। राज्य में अब जमीनों के डायवर्सन (Land Diversion) की प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन कर दी गई है। राजस्व विभाग ने इसकी अधिसूचना राजपत्र में प्रकाशित कर दी है। सरकार का कहना है कि इस फैसले से भूमि स्वामियों और किसानों को बड़ी राहत मिलेगी और उन्हें अब सरकारी दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।

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इन क्षेत्रों में अनुमति की जरूरत नहीं

नई व्यवस्था के तहत नगर निगम एवं नगर पालिका क्षेत्र, नगर निगम और नगर पालिका की बाह्य सीमा से 5 किलोमीटर तक का क्षेत्र, नगर पंचायत क्षेत्र और नगर पंचायत की बाहरी सीमा से 2 किलोमीटर तक के क्षेत्र, साथ ही ग्रामीण इलाकों में भूमि डायवर्सन के लिए सक्षम प्राधिकारी की पूर्व अनुमति आवश्यक नहीं होगी।
हालांकि नियमों के अनुसार सक्षम प्राधिकारी द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के तहत भूमि का पुनर्निर्धारण किया जाएगा।

15 दिन में आदेश, नहीं तो ऑटोमेटिक डायवर्सन

सरकार द्वारा लागू की गई इस नई प्रणाली में जमीन मालिक को सरकारी ऑनलाइन पोर्टल (Online Portal) पर आवेदन करना होगा। आवेदन के साथ तय भू-राजस्व और प्रीमियम (Premium Charges) का भुगतान भी ऑनलाइन ही किया जाएगा। यह आवेदन सीधे संबंधित जिले के एसडीएम (SDM – Sub Divisional Magistrate) के पास ऑनलाइन पहुंचेगा।

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नियम के मुताबिक एसडीएम को 15 दिनों के भीतर डायवर्सन आदेश जारी करना अनिवार्य होगा। अगर तय समयसीमा में आदेश जारी नहीं किया गया, तो 16वें दिन ऑटोमेटिक सिस्टम से डायवर्सन आदेश जारी होकर जमीन का उपयोग स्वतः मान्य हो जाएगा।

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एसडीएम दफ्तर के चक्कर से मिलेगी राहत

अब तक जमीन डायवर्सन की प्रक्रिया लंबी, जटिल और समय लेने वाली मानी जाती थी। पहले एसडीएम को आदेश जारी करने के लिए 60 दिन तक का समय मिलता था, फिर भी लोगों को बार-बार कार्यालय के चक्कर लगाने पड़ते थे। इसी वजह से प्रदेशभर में हजारों डायवर्सन प्रकरण लंबित थे। नई ऑनलाइन व्यवस्था से न सिर्फ लंबित मामलों में कमी आएगी, बल्कि अघोषित लेन-देन और भ्रष्टाचार पर भी अंकुश लगने की उम्मीद है।

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प्रीमियम दरें तय, क्षेत्र और उपयोग के हिसाब से शुल्क

सरकार ने नए सिस्टम में डायवर्सन के लिए प्रीमियम दरें भी तय कर दी हैं। ये दरें लगभग 3 रुपये प्रति वर्गमीटर से 25 रुपये प्रति वर्गमीटर तक होंगी।

प्रीमियम की दरें अलग-अलग होंगी—

  • नगर निगम क्षेत्र

  • नगर पालिका क्षेत्र

  • नगर पंचायत क्षेत्र

  • ग्रामीण क्षेत्र

इसके अलावा जमीन के उपयोग के अनुसार भी अलग-अलग दरें लागू होंगी,

जैसे—

  • आवासीय (Residential)

  • कॉलोनी परियोजना (Colony Project)

  • वाणिज्यिक (Commercial)

  • औद्योगिक (Industrial)

  • मिश्रित उपयोग (Mixed Use)

  • सार्वजनिक व संस्थागत उपयोग (Public & Institutional)

  • चिकित्सा सुविधाएं (Medical Facilities)

  • विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ – Special Economic Zone)

सरकार का दावा- पारदर्शी और समयबद्ध व्यवस्था

राज्य सरकार का दावा है कि इस नई व्यवस्था से डायवर्सन प्रक्रिया सरल, पारदर्शी और समयबद्ध होगी। इससे गांव से लेकर शहर तक भूमि स्वामियों को बड़ा लाभ मिलेगा और जमीन से जुड़े मामलों में वर्षों से चली आ रही परेशानियां कम होंगी।

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