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CG RI Promotion Ghotala: छत्तीसगढ़ के रायपुर में रेवेन्यू इंस्पेक्टर यानी आरआई प्रमोशन घोटाले में बड़ी कार्रवाई शुरू हुई है। पटवारी संघ और शासन के दिए गए पत्र के आधार पर EOW ने 10 अधिकारी-कर्मचारियों के खिलाफ FIR दर्ज कर ली है। ​जिसमें से दो आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायिक रिमांड पर जेल भी भेज दिया गया है, जबकि बाकी 8 की गिरफ्तारी की तैयारी जारी है।
इन पर भी कार्रवाई की तैयारी
आपको बता दें अधिकारी कर्मचारियों के अलावा उन पटवारियों पर भी कार्रवाई किए जाने की तैयारी है जिन्हें गड़बड़ी के जरिए प्रमोशन दिया गया था। इस मामले में कई चौंकाने वाली बात ये है कि किसी फेल पटवारी को बाद में पास कर दिया गया, इतना ही नहीं किसी परीक्षा केंद्र में पति-पत्नी और कई जगह भाइयों को एक साथ बिठाया गया।
19 नवंबर को हुई थी छापेमारी
EOW ने 19 नवंबर को सात जिलों में 19 ठिकानों पर छापे मारे थे। छापों में एजेंसी को बड़े पैमाने पर दस्तावेज और तकनीकी सबूत मिले हैं। एजेंसी का कहना है कि प्रमोशन परीक्षा में जमकर धांधली हुई और प्रश्नपत्र परीक्षा से पहले ही लीक कर दिया गया था। रिश्तेदारों को एक ही सेंटर में और क्रमवार बैठाकर पास कराया गया, जिससे कई लोगों के अंक एक जैसे मिले।
ऐसे हुआ था प्रमोशन का खेला
- परीक्षा का पाठ्यक्रम दो बार बदला, लेकिन दोनों में भुइयां सॉफ्टवेयर का जिक्र नहीं था। फिर भी इससे जुड़े 7 सवाल पूछे गए।
- OMR शीट पर नाम/रोल नंबर/चिह्न लिखना मना था, फिर भी कई OMR शीट पर उम्मीदवारों के मोबाइल नंबर लिखे मिले।
- रोल नंबर 240921 हर्षवर्धन गोटे का नाम चयन सूची में आया, बाद में हटा दिया गया।
- रोल नंबर 241921 पवन नेताम का नाम मैनुअल एंट्री से सूची में जोड़ा गया।
कई परिवारों के लोग एक साथ बैठे मिले
241797–241798 (दो भाई)
241975–241976, 241770–241771, 240779–240780 (एक ही परिवार)
241377–241370 (दोनों भाई, दोनों के 88 अंक)
240319, 240061, 241785 (जीजा–दीदी–साली, एक ही कमरे में परीक्षा)
EOW का दावा—प्रश्नपत्र परीक्षा से पहले ही लीक कर दिया गया था और उसी आधार पर कई पटवारियों ने तैयारी की।
क्या है पूरा मामला?
7 जनवरी 2024 को पटवारी से आरआई प्रमोशन की लिखित परीक्षा हुई थी। इसमें 2600 से ज्यादा पटवारी शामिल हुए।
29 फरवरी 2024 को आए रिजल्ट में 216 लोग प्रशिक्षण के लिए चयनित हुए।
बाद में केवल 13 उम्मीदवारों का अंतिम चयन किया गया, लेकिन चौंकाने वाली बात यह कि 22 लोगों को नियुक्ति दे दी गई—यहीं से विवाद शुरू हुआ।
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