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khairagarh Protest: श्री सीमेंट लिमिटेड खदान के खिलाफ हल्ला बोल, 200 ट्रैक्टर के साथ हजारों किसान पहुंचे SDM कार्यालय, दी ये चेतावनी

खैरागढ़ में प्रस्तावित श्री सीमेंट लिमिटेड की सण्डी चूना पत्थर खदान और सीमेंट परियोजना के खिलाफ ग्रामीणों का गुस्सा चरम पर पहुंच गया। पुलिस रोकने में नाकाम रही

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Harsh Verma
CG news

khairagarh Protest: खैरागढ़ जिले में प्रस्तावित श्री सीमेंट लिमिटेड की सण्डी चूना पत्थर खदान और सीमेंट परियोजना के विरोध की आवाज अब पहले से कहीं ज्यादा तीखी और संगठित हो चुकी है। शनिवार को क्षेत्र के सैकड़ों गांवों के हजारों किसान सुबह से ही ट्रैक्टर–ट्रालियों के काफिले में निकले।

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करीब 200 से अधिक ट्रैक्टरों का यह काफिला जब छुईखदान की ओर बढ़ा तो सड़कें नारों और डीजल की धड़कन से गूंज उठीं। इस रैली में महिलाएं, युवक, बुजुर्ग और छोटे बच्चे तक शामिल रहे, जिसने इस विरोध को स्थानीय स्तर से ऊपर उठाकर बड़े जनआंदोलन का स्वरूप दे दिया।

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जनसुनवाई पर सवाल, प्रशासन पर भारी दबाव

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किसानों की हल्ला–बोल रैली को पुलिस ने छुईखदान की सीमा में रोकने की कोशिश की, पर ग्रामीण कदम नहीं रुके। वे पैदल ही आगे बढ़ते हुए एसडीएम कार्यालय पहुंचे और लिखित ज्ञापन सौंपा। उनका साफ कहना है कि 11 दिसंबर को प्रस्तावित जनसुनवाई पारदर्शी तरीके से नहीं की जा रही और गांवों की वास्तविक राय को नजरअंदाज किया गया है। लोगों का आरोप है कि उनकी जिंदगी, जमीन और जलस्रोत खतरे में हैं, फिर भी उनकी सहमति लिए बिना आगे बढ़ा जा रहा है।

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39 गांवों ने लिखित आपत्ति देकर परियोजना को ठुकराया

प्रस्तावित खदान क्षेत्र के 10 किलोमीटर दायरे में आने वाले 39 गांवों ने लिखित रूप में अपना विरोध दर्ज कराया है। सण्डी, पंडारिया, विचारपुर और भरदागोड़ पंचायतों ने ग्रामसभा प्रस्ताव पारित कर साफ कह दिया है कि वे चूना पत्थर खदान को किसी भी हाल में नहीं मानेंगे। ग्रामीणों का तर्क है कि खदान खुलने से हवा, पानी और खेत–खलिहान पर सीधा असर पड़ेगा। पशुपालन और खेती से जीने वाले हजारों परिवारों की आजीविका दांव पर होगी।

विरोध का हर दिन बढ़ता दायरा

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विरोध अब सिर्फ गांव की गलियों में नहीं, बल्कि राजनीतिक दफ्तरों, युवा संगठनों और सामाजिक संस्थाओं तक पहुंच चुका है। लोग इसे केवल पर्यावरण का मुद्दा नहीं, बल्कि भविष्य की सुरक्षा और अस्तित्व की लड़ाई बता रहे हैं। ग्रामीण चेतावनी दे चुके हैं कि अगर मांगों पर सहमति नहीं बनी तो आंदोलन और उग्र तथा व्यापक होगा।

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