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CG Naxalites Surrender: छत्तीसगढ़ में नक्सल विरोधी अभियान को बड़ी सफलता मिली है। झीरम घाटी हमले का मुख्य आरोपी और माओवादी संगठन का वरिष्ठ कैडर चैतू उर्फ श्याम दादा (Chaitu alias Shyam Dada) ने सरेंडर कर दिया है। यह वही हमला था जिसमें कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व और वरिष्ठ नेता शहीद हुए थे। इस हमले में बस्तर टाइगर महेंद्र कर्मा (Mahendra Karma) को 100 गोलियां मारी गई थीं।
चैतू वर्तमान में DKSZCM (Dandakaranya Special Zonal Committee Member) कैडर का सदस्य था और उस पर 25 लाख रुपये का इनाम (Reward of 25 Lakhs) घोषित था। वह 45 साल से नक्सल आंदोलन से जुड़ा रहा और पूरे 35 साल उसने बस्तर के इलाकों में सक्रिय रहकर काम किया।
कई बड़े हमलों में रहा शामिल, पुलिस से कई बार बचता रहा
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बस्तर IG सुंदरराज पी (Sundarraj P) ने बताया कि चैतू लंबे समय से सुरक्षा एजेंसियों की सूची में मोस्ट वांटेड नक्सली के रूप में शामिल था। वह कई बार जंगलों में पुलिस व सुरक्षा बलों की कार्रवाई से बच निकला था।
IG ने कहा कि चैतू सहित सरेंडर करने वाले नक्सलियों पर कुल 65 लाख रुपये का इनाम घोषित था। पुलिस अब देवजी, केंद्रीय समिति सदस्य रामदर, DKSZC सदस्य पापाराव, देवा (Barse Deva) समेत अन्य नक्सलियों की तलाश तेज कर रही है।
सरेंडर के बाद चैतू का बयान- “संगठन में अब कुछ नहीं रखा”
सरेंडर के बाद चैतू ने कहा,
“रूपेश और सोनू दादा ने भी हथियार डाल दिए। नक्सल संगठन में अब कुछ नहीं बचा है। मेरी उम्र 63 साल है और हालात देखकर मैंने हिंसा का रास्ता छोड़ दिया है।”
नक्सल जानकारों का कहना है कि चैतू झीरम घाटी हमला (Jhiram Ghati Attack) का मास्टरमाइंड है। 25 मई 2013 को दरभा घाटी में कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर हमले में भी उसकी भूमिका बताई जाती है। IG ने कहा कि इस मामले की फाइलें खंगालने के बाद ही आधिकारिक जानकारी दी जाएगी।
मुख्यमंत्री साय ने सरेंडर का स्वागत किया
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय (Vishnu Deo Sai) ने चैतू के सरेंडर को बड़ा सकारात्मक संकेत बताया। उन्होंने कहा “सरकार की प्रतिबद्धता के अनुरूप सभी आत्मसमर्पित साथियों को सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन के लिए पुनर्वास सुविधाएं दी जाएंगी। बस्तर तेज़ी से शांति और विकास की तरफ बढ़ रहा है।”
सरेंडर की बढ़ती संख्या से बदला माहौल
पिछले कुछ महीनों में बस्तर में सरेंडर करने वाले नक्सलियों की संख्या तेजी से बढ़ी है। इसमें महिला कैडर, एरिया कमांडर और वरिष्ठ नेता शामिल हैं। सुरक्षा बलों की कार्रवाई, ग्रामीणों का विरोध और सरकार की पुनर्वास नीति ने नक्सलियों को मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित किया है।
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