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छत्तीसगढ़ विधानसभा सत्र: भूपेश बघेल ने सरकार से धान खरीदी और नीलामी को लेकर मांगा जवाब, कहा- किसानों के साथ छल हुआ

CG Dhaan Kharidi: छत्तीसगढ़ विधानसभा सत्र, भूपेश बघेल ने सरकार से धान खरीदी और नीलामी को लेकर मांगा जवाब, कहा- किसानों के साथ छल हुआ

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Harsh Verma
CG Dhaan Kharidi

CG Dhaan Kharidi: छत्तीसगढ़ विधानसभा (Chhattisgarh Vidhan Sabha) के मानसून सत्र के अंतिम दिन शुक्रवार को सदन में धान खरीदी (Dhaan Kharidi) को लेकर तीखी बहस देखने को मिली। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस विधायक भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) ने सरकार से सवाल पूछते हुए कहा कि धान केंद्रों से उठा लिया गया है, तो अब धान है कहां? उन्होंने पूछा कि कुल कितनी नीलामी हुई और एफसीआई (FCI) व नान (NAN) को कितना स्टॉक मिला है?

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भूपेश बघेल ने कहा कि जब मिलर्स (Rice Millers) को 1,59,000 मीट्रिक टन धान दे दिया गया और संग्रहण केंद्रों में 51,000 मीट्रिक टन धान है, तो फिर सरकार ने बाकी स्टॉक का क्या किया? उन्होंने आरोप लगाया कि पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं दिखाई गई और किसानों के साथ छल हुआ है।

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मंत्री दयालदास बघेल ने आंकड़ों से दी सफाई

इस पर कृषि मंत्री दयालदास बघेल (Dayaldas Baghel) ने जवाब देते हुए कहा कि बालोद (Balod) विधानसभा क्षेत्र में इस साल कुल 2,25,000 मीट्रिक टन धान की खरीदी की गई थी। इसमें से 1,79,700 मीट्रिक टन धान राइस मिलर्स को भेजा गया और केवल 51,691 मीट्रिक टन धान ही अब तक संग्रहण केंद्रों में है।

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मंत्री ने कहा कि लगभग 1,000 मीट्रिक टन धान खरीदी केंद्र में पड़ा है जबकि बाकी का स्टॉक पहले से ही निर्धारित केंद्रों को भेजा जा चुका है। उन्होंने जोर देकर कहा कि "सभी प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता से नियमों के तहत की गई है।"

क्या है किसानों की चिंता?

हालांकि विपक्ष के इन सवालों ने एक बार फिर प्रदेश में धान खरीदी की व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। किसान संगठनों का भी कहना है कि धान के उठाव और वितरण में देरी व अनियमितता से किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है। सदन में उठाए गए इन सवालों से यह साफ हो गया है कि आने वाले दिनों में भी यह मुद्दा सियासी बहस का केंद्र बना रहेगा।

छत्तीसगढ़ की राजनीति में धान न केवल एक कृषि उपज है, बल्कि यह सियासी विमर्श का अहम विषय भी है। विपक्ष और सरकार दोनों की नजरें आगामी खरीदी सत्र पर टिकी हैं और इस बार पारदर्शिता व जवाबदेही पर जनता की निगाहें भी गड़ी होंगी।

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