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CG News: बस्‍तर में हो रही पहाड़ी मैना की संख्‍या में बढ़ोतरी

जगदलपुर। CG News: प्रकृति के आगे विज्ञान भी नतमस्तक है, यह प्राकृतिक पर्यावास में पहाड़ी मैना की बड़ती संख्या ने साबित कर दिया है।

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Bansal News
CG News: बस्‍तर में हो रही पहाड़ी मैना की संख्‍या में बढ़ोतरी

जगदलपुर से रजत वाजपेयी की रिपोर्ट। CG News: प्रकृति के आगे विज्ञान भी नतमस्तक है, यह प्राकृतिक पर्यावास में पहाड़ी मैना की बड़ती संख्या ने साबित कर दिया है।

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कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र कें ग्रामीण क्षेत्र में घटती मैना की संख्‍या में पिछले कुछ महीनों में काफी इजाफा हुआ है।

जगदलपुर में 2004 में मैना का संरक्षित करने के लिए एक प्रजनन केंद्र की स्थापना की गई। प्रशासन ने मैना की संख्‍या बड़ा के निए लाखों रुपए खर्च करने कर दिए, लेकिन वन विभाग प्रजनन दर तो दूर, मैना की सैक्सुअल पहचान भी नहीं कर पाया।

वैज्ञानिक कर चुके कई शोध

जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के वैज्ञानिक यहां आकर मैना के प्रजनन और उसकी प्रवृत्ति के बारे में पिछले कुछ वर्षों में कई शोध किए। जानकार बताते हैं कि मैना अपने जीवन में केवल एक ही लाइफ पार्टनर बनाती है। इसके अलावा उनके मेल-फीमेल होने की पहचान केवल डीएनए टेस्ट के द्वारा ही की जा सकती है।

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[caption id="attachment_284711" align="alignnone" width="859"]publive-imageछत्तीसगढ़ का राजकीय पक्षी है पहाड़ी मैना[/caption]

ऐसे में प्रकृति के विपरीत विज्ञान के जरिए इनके प्रजनन की सारी कवायद अभी तक धरी की धरी रह गई। दरअसल मैना का क्षेत्र पूरा बस्तर है। जबकि इनकी देख-रेख केवल कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान तक ही सीमित रखी गई।

दंतेवाड़ा और बीजापुर में भी पाई जाती है मैना

विभागीय अधिकारी बताते हैं कि दंतेवाड़ा और बीजापुर में भी मैना पाई जाती है। जिसका क्षेत्रफल लगभग साढ़े 6 लाख हैक्टेयर में फैला हैं। कुसुम, बरगद, पीपल और जड़ी के वृक्षों में मैना वास करती और इन्हीं के फल खाकर अपना भोपन करती है।

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ऐसे में सीमित क्षेत्र के भीतर बस्तर की पहाड़ी मैना की देख-रेख ऊंट के मुंह में जीरा जैसा है। वैज्ञानिक भी इनके कैप्टिव ब्रीडिंग की बजाए नेचुरल ब्रीडिंग को अधिक उपयोगी मानते थे।

[caption id="attachment_284712" align="alignnone" width="859"]publive-imageछत्तीसगढ़ का राजकीय पक्षी है पहाड़ी मैना[/caption]

ये है बस्तर की पहाड़ी मैना की खासियत?

बस्तर की पहाड़ी मैना की खासियत हैं कि वह हू-ब-हू आदमी के स्वर की नकल करती है। जिसमें काफी मिठास भी होती है। यही वजह है कि बस्तर की पहाड़ी मैना को लोग पालतू बनाकर अपने घरों में रखना चाहते हैं। मैना के खान-पान और इसके रख-रखाव में काफी सावधानी बरतनी पड़ती है, अन्यथा इसका अधिक दिनों तक जीवित रहना संभव नहीं हो पाता।

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