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CG Tigers Translocation: छत्तीसगढ़ में बढ़ेगी बाघों की दहाड़, MP से आएंगे 6 टाइगर, उदंती-तमोर रिजर्व में होगी शिफ्टिंग

CG Tigers Translocation: छत्तीसगढ़ में बाघों की संख्या बढ़ाने की तैयारी तेज। मध्यप्रदेश के कान्हा और बांधवगढ़ से 6 बाघ (1 नर और 5 मादा) को उदंती-सीतानदी और गुरू घासीदास तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व में शिफ्ट किया जाएगा।

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Shashank Kumar
CG Tigers Translocation

CG Tigers Translocation

हाइलाइट्स 

  • एमपी से छत्तीसगढ़ आएंगे 6 बाघ

  • उदंती और तमोर रिजर्व होंगे मजबूत

  • NTCA मंजूरी के बाद होगी शिफ्टिंग

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CG Tigers Translocation: छत्तीसगढ़ में अब जल्द ही बाघों (Tigers) की दहाड़ और गूंज सुनाई देने वाली है। प्रदेश में बाघों की संख्या बढ़ाने की कवायद शुरू हो चुकी है। इसके तहत मध्यप्रदेश के कान्हा और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से 6 बाघों को छत्तीसगढ़ शिफ्ट करने की तैयारी है। इनमें 1 नर और 5 मादा बाघिन शामिल होंगी। ये बाघ उदंती-सीतानदी और गुरू घासीदास तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व में बसाए जाएंगे।

कान्हा से आएंगे नर और मादा बाघ

[caption id="attachment_892070" align="alignnone" width="1253"]CG Tigers Translocation सीजी टाइगर्स ट्रांसलोकेशन[/caption]

छत्तीसगढ़ वन विभाग की योजना के मुताबिक, कान्हा नेशनल पार्क (Kanha National Park) से 1 नर और 2 मादा बाघ लाकर गरियाबंद के उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व (Udanti-Sitanadi Tiger Reserve) में बसाया जाएगा। वहीं, बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व (Bandhavgarh Tiger Reserve) से 3 बाघिन को कोरिया जिले के गुरू घासीदास तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व (Guru Ghasidas Tamor Pingla Tiger Reserve) में बसाने की तैयारी है।

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यह निर्णय नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (NTCA) की तकनीकी समिति की बैठक के बाद अंतिम रूप लेगा। हालांकि, बाघों की शिफ्टिंग से पहले प्रे-बेस स्टडी (Prey Base Study) कराना जरूरी होगा, ताकि जंगल में शिकार की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके।

प्रे-बेस तैयार करने जुटा वन विभाग

उदंती और तमोर में बाघों की सुरक्षित शिफ्टिंग के लिए वन विभाग ने पहले से ही चीतल (Spotted Deer) और जंगली सूअर (Wild Boar) को शिफ्ट कर प्रे-बेस मजबूत करना शुरू कर दिया है।

  • राजनांदगांव वन मंडल के मनगट्टा जंगल से 93 चीतल
  • नवा रायपुर बॉटनिकल गार्डन से 24 जंगली सूअर
    को गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में छोड़ा गया है। इसके अलावा, जंगल सफारी से 150 चीतलों को उदंती-सीतानदी रिजर्व भेजने की मंजूरी दी गई है।
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वन्यजीव विशेषज्ञ मानते हैं कि जब तक शिकार की पर्याप्त संख्या नहीं होगी, तब तक बाघों को नया क्षेत्र अनुकूल नहीं लगेगा। इसी कारण प्रे-बेस स्टडी को अनिवार्य किया गया है।

[caption id="attachment_892071" align="alignnone" width="1133"]CG Tigers Translocation CG Tigers Translocation[/caption]

छत्तीसगढ़ में अभी कितने बाघ हैं?

छत्तीसगढ़ वन विभाग के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में फिलहाल 35 बाघ (Tigers in Chhattisgarh) हैं। इनमें-

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  • अचानकमार टाइगर रिजर्व – 18
  • इंद्रावती टाइगर रिजर्व – 6
  • भोरमदेव अभयारण्य – 3
  • गुरू घासीदास तमोर पिंगला रिजर्व – 7
  • उदंती-सीतानदी रिजर्व – 1

यह आंकड़ा दर्शाता है कि अभी छत्तीसगढ़ को मध्यभारत का बड़ा टाइगर हब बनने के लिए लंबा सफर तय करना होगा।

तमोर-पिंगला देश का तीसरा सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ कैबिनेट ने 7 अगस्त 2024 को गुरू घासीदास तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व के गठन को मंजूरी दी थी। लगभग 2829.38 वर्ग किलोमीटर में फैला यह रिजर्व अब देश का तीसरा सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व बन चुका है। यह इलाका पहले से ही वन्यजीवों से समृद्ध है और यहां बाघों के लिए बेहतर आवास (Habitat) और विस्तार की संभावना है।

ट्रांस-लोकेशन से क्या होगा फायदा?

वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि बाघों की ट्रांस-लोकेशन (Tiger Translocation) से छत्तीसगढ़ में टाइगर पॉप्युलेशन (Tiger Population) संतुलित होगी। नए जेनेटिक पूल (Genetic Diversity) से बाघों की प्रजाति और मजबूत होगी। पर्यटन (Wildlife Tourism) को बढ़ावा मिलेगा। स्थानीय लोगों को रोजगार और इको-टूरिज्म से फायदा होगा।

हालांकि, इसके साथ ही यह भी चिंता जताई जा रही है कि बाघ और इंसान संघर्ष (Human-Tiger Conflict) की आशंका भी बढ़ सकती है, जिसके लिए वन विभाग को पहले से रणनीति तैयार करनी होगी।

अधिकारियों का क्या कहना है?

पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ अरुण पाण्डेय ने कहा, “बाघों को शिफ्ट करने से पहले प्रे-बेस मजबूत करना बेहद जरूरी है। इसी कारण चीतल और जंगली सूअर की संख्या बढ़ाई जा रही है। जैसे ही अध्ययन रिपोर्ट आएगी, NTCA की मंजूरी के बाद ट्रांस-लोकेशन शुरू होगा।”

छत्तीसगढ़ में बाघों की संख्या बढ़ाने का यह प्रयास प्रदेश के वन्यजीव संरक्षण (Wildlife Conservation) के लिए ऐतिहासिक कदम साबित हो सकता है। कान्हा और बांधवगढ़ से आने वाले ये 6 बाघ आने वाले वर्षों में छत्तीसगढ़ की जैव विविधता (Biodiversity) और पर्यटन को नई पहचान देंगे।

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