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Surajpur Student Suicide Attempt: 10वीं की छात्रा ने मोबाइल फोन चलाने से रोकने पर खाया कीटनाशक, समय पर इलाज से बची जान

Surajpur Student Suicide Attempt: 10वीं की छात्रा ने मोबाइल फोन चलाने से रोकने पर खाया कीटनाशक, समय पर इलाज से बची जान

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Harsh Verma
CG News

Surajpur Student Suicide Attempt: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के सूरजपुर (Surajpur) जिले में एक नाबालिग छात्रा (Minor Student) ने मोबाइल फोन (Mobile Phone) चलाने से रोकने पर आत्महत्या (Suicide Attempt) करने की कोशिश की। यह घटना डुमरिया गांव (Dumaria Village) की है, जहां दसवीं कक्षा में पढ़ने वाली 15 वर्षीय छात्रा ने घर में रखा कीटनाशक खा लिया।

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जानकारी के मुताबिक छात्रा लंबे समय से मोबाइल का अत्यधिक इस्तेमाल कर रही थी। परिजनों ने कई बार उसे समझाया कि वह पढ़ाई पर ध्यान दे और फोन कम चलाए। लेकिन इस बात से आहत होकर छात्रा ने यह खतरनाक कदम उठा लिया।

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समय पर मिला इलाज, बची जान

परिवार वालों ने जैसे ही उसे कीटनाशक खाते देखा, तुरंत जिला अस्पताल सूरजपुर (Surajpur District Hospital) ले गए। डॉक्टरों ने इलाज शुरू किया और फिलहाल छात्रा की हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है। डॉक्टरों का कहना है कि यदि समय पर इलाज न मिलता तो स्थिति गंभीर हो सकती थी।

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गांव और परिवार में सदमा

इस घटना से न केवल छात्रा का परिवार बल्कि पूरा गांव सदमे में है। ग्रामीणों के बीच चर्चा है कि मोबाइल और इंटरनेट की लत बच्चों को मानसिक रूप से इतना कमजोर बना रही है कि वे आत्मघाती कदम उठाने से भी पीछे नहीं हट रहे।

मनोवैज्ञानिकों की राय

मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि बच्चों में स्क्रीन टाइम (Screen Time) बढ़ने से उनकी पढ़ाई, सोच और मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है। जब परिजन रोकते हैं तो बच्चे इसे अपनी आजादी पर हमला समझ लेते हैं और गुस्से या अवसाद में गलत कदम उठा लेते हैं। विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि माता-पिता बच्चों से संवाद करें, डिजिटल डिटॉक्स (Digital Detox) को बढ़ावा दें और आउटडोर गतिविधियों (Outdoor Activities) पर जोर दें।

पुलिस और प्रशासन की अपील

फिलहाल सूरजपुर पुलिस (Surajpur Police) ने मामले की जानकारी दर्ज कर ली है और परिवार से बातचीत की है। प्रशासन ने अपील की है कि लोग बच्चों की मोबाइल आदतों पर नजर रखें और जरूरत पड़ने पर काउंसलिंग (Counseling) का सहारा लें।

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यह घटना पूरे समाज के लिए चेतावनी है कि तकनीक की लत बच्चों के लिए किस तरह खतरनाक साबित हो सकती है। समय रहते सावधानी और समझदारी से ही ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता है।

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