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Chaitanya Baghel Supreme Court Petition: पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की ओर से सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में दो अलग-अलग याचिकाएं दायर की गई थीं। पहली याचिका में उन्होंने पीएमएलए एक्ट की कुछ धाराओं को संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन बताया, जबकि दूसरी याचिका में गिरफ्तारी को चुनौती दी गई थी।
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस सूर्यकांत (Chief Justice Suryakant) और जस्टिस जॉयमाला बागची (Justice Joymala Bagchi) की बेंच ने ईडी (ED) से जवाब दाखिल करने के लिए नोटिस जारी किया। अदालत ने कहा कि ईडी को यह स्पष्ट करना होगा कि वह “आधी चार्जशीट” (Half Charge Sheet) दाखिल करने की प्रक्रिया का पालन किस विधिक आधार पर करती है।
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बचाव पक्ष की दलील: बिना धारा 50 समन के गिरफ्तारी अवैध
चैतन्य बघेल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल (Kapil Sibal), वरिष्ठ अधिवक्ता हरिहरन, हर्षवर्धन परगनिहा और मयंक जैन ने पैरवी की। उन्होंने कहा कि गिरफ्तारी का आधार “असहयोग” बताया गया है, लेकिन ईडी ने धारा 50 (Section 50) के तहत समन जारी कर पूछताछ के लिए नहीं बुलाया था।
बचाव पक्ष ने यह भी तर्क दिया कि सक्षम अदालत की अनुमति के बिना विवेचना (Investigation) और अन्य विधिक कार्रवाई जारी रखना विधिक रूप से गलत है। उन्होंने अदालत से गिरफ्तारी को रद्द करने और जांच प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग की।
ईडी की दलील और सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
वहीं, ईडी की ओर से कहा गया कि चैतन्य बघेल की जमानत (Bail) पहले ही खारिज हो चुकी है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ईडी के जवाब में कई तथ्य स्पष्ट नहीं हैं। कोर्ट ने टिप्पणी की कि “आप हर बार आधी चार्जशीट दाखिल करते हैं, लेकिन इसका विधिक आधार क्या है, यह बताना आवश्यक है।”
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को नोटिस जारी किया और दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 15 दिन बाद तय की है।
छत्तीसगढ़ की राजनीति में हलचल
सुप्रीम कोर्ट की इस कार्यवाही के बाद छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। भूपेश बघेल के समर्थक इसे राजनीतिक प्रतिशोध (Political Vendetta) बता रहे हैं, जबकि भाजपा (BJP) का कहना है कि कानून अपना काम कर रहा है। फिलहाल, सभी की निगाहें सुप्रीम कोर्ट की अगली सुनवाई पर टिकी हैं।
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